देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में करीब तीन महीने बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस हफ्ते रुपए की गिरावट को थामने के लिए कई कदम उठाए, ताकि इसकी कीमत 88 के स्तर से नीचे न जाए।
आरबीआई के इस दखल का असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा, जिसके चलते इसमें भारी कमी देखने को मिली है। यह गिरावट अगस्त के बाद सबसे बड़ी बताई जा रही है, जब 1 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भंडार में 9 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमी आई थी।
विदेशी मुद्रा भंडार में 6.9 बिलियन डॉलर की गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 24 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 6.925 बिलियन डॉलर घटकर 695.355 बिलियन डॉलर रह गया है। इससे पहले वाले हफ्ते में रिजर्व में 4.496 बिलियन डॉलर की बढ़त देखी गई थी और यह 702.28 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था।
आरबीआई के अनुसार, इस कमी का सबसे बड़ा असर फॉरेन करेंसी एसेट्स (Foreign Currency Assets) पर पड़ा है। यह हिस्सा 3.862 बिलियन डॉलर घटकर 566.548 बिलियन डॉलर पर आ गया है। गौरतलब है कि फॉरेन करेंसी एसेट्स में न केवल डॉलर, बल्कि यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं का भी असर शामिल होता है। जब इन मुद्राओं की वैल्यू में उतार-चढ़ाव आता है, तो इसका सीधा प्रभाव भारत के रिजर्व पर भी पड़ता है।
सोने के भंडार में भी आई गिरावट
आरबीआई के आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी गिरावट दर्ज की गई है। इस हफ्ते सोने का भंडार 3.01 बिलियन डॉलर घटकर 105.536 बिलियन डॉलर पर आ गया। वहीं, स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) में भी कमी दर्ज हुई है। एसडीआर इस हफ्ते 58 मिलियन डॉलर घटकर 18.664 बिलियन डॉलर रह गया। हालांकि, भारत की आईएमएफ में रिजर्व पोजिशन में हल्की बढ़त देखी गई है, जो 60 लाख डॉलर बढ़कर 4.608 बिलियन डॉलर हो गई है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान का रिजर्व बढ़ा
जहां भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हल्की बढ़त देखी गई है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने बताया कि 24 अक्टूबर तक पाकिस्तान का फॉरेन रिजर्व 16 मिलियन डॉलर बढ़कर 14.47 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। हालांकि यह भारत की तुलना में बेहद कम स्तर पर है, लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
क्या है गिरावट की मुख्य वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, रुपए की स्थिरता बनाए रखने के लिए आरबीआई के हस्तक्षेप और डॉलर की बढ़ती मांग के कारण यह गिरावट हुई है। जैसे-जैसे वैश्विक बाजारों में डॉलर मजबूत होता जा रहा है, वैसा ही असर भारत जैसे उभरते बाजारों की मुद्राओं और रिजर्व पर भी देखने को मिल रहा है।
हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी मजबूत स्थिति में है, और इससे भारत की वित्तीय स्थिरता पर कोई तत्काल खतरा नहीं है। लेकिन लगातार गिरावट का यह ट्रेंड अगर जारी रहता है, तो आने वाले महीनों में रुपए पर दबाव और बढ़ सकता है।