भोपाल AIIMS की स्टडी में बड़ा खुलासा, दमा-COPD के 90% मरीज गलत तरीके से लेते हैं इनहेलर, बीमारी हो रही गंभीर

भोपाल। सांस की बीमारियों जैसे दमा (अस्थमा) और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के इलाज में इनहेलर को सबसे कारगर माना जाता है। लेकिन क्या मरीज़ इसका सही इस्तेमाल कर रहे हैं? भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक हालिया अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्टडी के मुताबिक, इन बीमारियों से जूझ रहे 90 प्रतिशत मरीज़ इनहेलर का इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं, जिससे उनकी सेहत सुधरने के बजाय और खराब हो रही है।

यह अध्ययन एम्स भोपाल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग द्वारा किया गया है और इसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘मोनाल्डी आर्काइव्स फॉर चेस्ट डिजीज’ में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी ने इनहेलर के इस्तेमाल को लेकर मरीज़ों के बीच जागरूकता की भारी कमी को उजागर किया है।

एक साल तक 350 मरीजों पर हुई स्टडी

एम्स भोपाल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक गोयल के नेतृत्व में यह शोध किया गया। शोधकर्ताओं ने विभाग की ओपीडी में आने वाले अस्थमा और COPD के 350 मरीजों को इस अध्ययन में शामिल किया। एक साल तक चले इस अध्ययन में यह पाया गया कि दस में से नौ मरीज़ इनहेलर लेते समय कोई न कोई बड़ी गलती कर रहे थे।

डॉ. गोयल ने बताया कि इनहेलर से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है, जिससे यह गोलियों की तुलना में ज़्यादा असरदार होती है और इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। लेकिन इसका फायदा तभी मिलता है, जब इसे सही तकनीक से लिया जाए। गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर दवा फेफड़ों तक पहुंचने के बजाय मुंह या गले में ही रह जाती है, जिससे इसका असर नहीं होता।

ये हैं इनहेलर इस्तेमाल में होने वाली आम गलतियां

अध्ययन के दौरान मरीज़ों द्वारा की जाने वाली कुछ आम गलतियां सामने आई हैं, जो इलाज को बेअसर कर रही हैं:

  • इनहेलर को हिलाना नहीं: इस्तेमाल से पहले इनहेलर को अच्छी तरह हिलाना (शेक करना) जरूरी है ताकि दवा ठीक से मिल जाए। ज़्यादातर मरीज़ ऐसा नहीं करते।
  • सांस बाहर न छोड़ना: पफ लेने से पहले पूरी सांस बाहर छोड़ना आवश्यक है, ताकि दवा अंदर लेने के लिए फेफड़ों में जगह बन सके।
  • सांस रोकने में गलती: पफ लेने के बाद लगभग 10 सेकंड तक सांस रोकना होता है, जिससे दवा फेफड़ों में ठहर सके। मरीज़ अक्सर तुरंत सांस छोड़ देते हैं।
  • जल्दी-जल्दी पफ लेना: अगर डॉक्टर ने दो पफ लेने की सलाह दी ہے, तो दोनों के बीच कम से कम 30 से 60 सेकंड का अंतर रखना चाहिए।
  • स्पेसर का उपयोग न करना: खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए स्पेसर डिवाइस बहुत जरूरी है, लेकिन लोग इसके महत्व को नहीं समझते।
  • इनहेलर की सफाई न करना: नियमित रूप से इनहेलर के माउथपीस को साफ न करने से भी संक्रमण का खतरा रहता है और दवा का प्रवाह बाधित होता है।

गलत इस्तेमाल के गंभीर परिणाम

डॉक्टरों के अनुसार, इनहेलर के गलत इस्तेमाल से मरीज़ को दवा की सही खुराक नहीं मिल पाती। नतीजतन, बीमारी पर नियंत्रण नहीं रहता और अस्थमा के अटैक बार-बार पड़ते हैं। लंबे समय तक ऐसा होने पर मरीज़ की स्थिति गंभीर हो सकती है और उसे स्टेरॉयड की गोलियां या इंजेक्शन लेने पड़ सकते हैं, जिनके साइड इफेक्ट्स ज़्यादा होते हैं। इससे मरीज़ पर आर्थिक और शारीरिक बोझ दोनों बढ़ता है।

क्या है इनहेलर इस्तेमाल का सही तरीका?

विशेषज्ञों के अनुसार, मरीज़ों को इनहेलर का सही तरीका सिखाना डॉक्टर की ज़िम्मेदारी है। हर बार जब मरीज़ फॉलो-अप के लिए आए, तो उसकी तकनीक की जांच की जानी चाहिए।

सही तरीका:

  1. सबसे इनहेलर को अच्छी तरह हिलाएं।
  2. पूरी तरह से सांस बाहर छोड़ें।
  3. इनहेलर के माउथपीस को मुंह में रखें और होंठों से सील करें।
  4. जैसे धीरे-धीरे गहरी सांस लेना शुरू करें, कनस्तर को दबाएं।
  5. सांस लेने के बाद 10 सेकंड के लिए अपनी सांस रोककर रखें।
  6. अगर दूसरा पफ लेना है तो 30-60 सेकंड रुकें।
  7. स्टेरॉयड वाले इनहेलर के इस्तेमाल के बाद पानी से कुल्ला जरूर करें ताकि मुंह में फंगल इन्फेक्शन न हो।

यह अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि सिर्फ दवा लिखना ही बल्कि मरीज़ों को उसके सही इस्तेमाल के बारे में शिक्षित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है ताकि वे एक स्वस्थ जीवन जी सकें।