पिछले एक दशक में भारत ने जो सबसे दिल दहला देने वाला विमान हादसा देखा, वह हाल ही में अहमदाबाद में हुआ एअर इंडिया का प्लेन क्रैश था। इस त्रासदी में 241 लोगों की जान चली गई। इस घटना ने न सिर्फ देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बीमा बाजार में भी हलचल मचा दी।
कारण है, अब तक का सबसे बड़ा एविएशन इंश्योरेंस क्लेम, जिसकी अनुमानित लागत 475 मिलियन डॉलर यानी 4,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
इतिहास का सबसे बड़ा एविएशन इंश्योरेंस क्लेम
जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रामास्वामी नारायणन ने ब्लूमबर्ग को बताया कि यह दावा भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा एविएशन क्लेम हो सकता है। GIC Re उन कंपनियों में से एक है जिसने एअर इंडिया को बीमा कवरेज प्रदान किया था।
कहां-कहां हुआ कितना नुकसान?
रामास्वामी नारायणन ने हादसे में हुए आर्थिक नुकसान का विस्तृत विवरण दिया। उनके अनुसार, विमान के शेल और इंजन के लिए करीब 125 मिलियन डॉलर (1,000 करोड़ रुपये से अधिक) का दावा किया जाएगा। वहीं यात्रियों और जमीन पर मारे गए लोगों की मौत के लिए लगभग 350 मिलियन डॉलर (3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) का अतिरिक्त क्लेम बनेगा। ब्लूमबर्ग के अनुसार, यह दावा 2023 में भारत में एविएशन इंडस्ट्री द्वारा दिए गए कुल वार्षिक प्रीमियम से तीन गुना ज्यादा है।
गंभीर वित्तीय प्रभाव: महंगे होंगे एविएशन बीमा
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बड़े हादसे के बाद भारत में एविएशन बीमा महंगा हो सकता है। बीमा कंपनियां या तो मौजूदा प्रीमियम बढ़ा सकती हैं या फिर अगली पॉलिसी के रिन्युअल पर दरों में इजाफा होगा। हादसे में विदेशी नागरिकों की मृत्यु होने के कारण उनके परिजनों को भुगतान भी उनके देश के नियमों के हिसाब से करना होगा, जिससे क्लेम की लागत और बढ़ सकती है।
क्लेम प्रक्रिया में देरी संभव
नारायणन ने बताया कि सबसे पहले बीमाकर्ता विमान के नुकसान की भरपाई करेंगे, और उसके बाद मृतकों के परिजनों के लिए देयता (लायबिलिटी) क्लेम्स का निपटारा किया जाएगा। लायबिलिटी क्लेम्स की प्रक्रिया जटिल होती है और इसमें थोड़ा समय लग सकता है।
ग्लोबल रीइंश्योरेंस कंपनियों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा भार
हालांकि, इस आर्थिक बोझ का सबसे बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय रीइंश्योरेंस कंपनियों को उठाना पड़ेगा। भारत की घरेलू बीमा कंपनियों ने एविएशन सेक्टर से मिली प्रीमियम आय का करीब 95% हिस्सा ग्लोबल रीइंश्योरर्स को ट्रांसफर कर दिया था। इसका मतलब यह है कि बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी GIC Re जैसी कंपनियों पर नहीं, बल्कि उन विदेशी फर्मों पर होगी जो रीइंश्योरेंस सेवाएं देती हैं।
क्या होगा आगे?
इस दर्दनाक हादसे के बाद भारत की एविएशन इंडस्ट्री को बीमा के मोर्चे पर मुश्किल दौर का सामना करना पड़ सकता है। आने वाले समय में बीमा शर्तें सख्त हो सकती हैं और प्रीमियम में इजाफा तय माना जा रहा है। साथ ही, यह हादसा एक बार फिर से सुरक्षा मानकों और बीमा मॉडल्स की समीक्षा की जरूरत को उजागर करता है।