Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के विमान AI171 की प्रारंभिक जांच ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के अंतिम क्षणों में विमान की कॉन्फिगरेशन और संभावित तकनीकी खराबी को लेकर विशेषज्ञों ने गहन विश्लेषण शुरू कर दिया है।
असामान्य स्थिति: लैंडिंग गियर और फ्लैप्स की गड़बड़ी
विमान के उड़ान दृश्यों के विश्लेषण से पता चलता है कि उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान का लैंडिंग गियर नीचे ही रहा और विंग फ्लैप्स पूरी तरह से वापस खींच लिए गए थे। यह स्थिति उड़ान के शुरुआती चढ़ाई चरण के लिए बेहद असामान्य और खतरनाक है। बोइंग 787 के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, टेकऑफ के लिए फ्लैप्स को 5 (या इससे अधिक) पर सेट किया जाता है, और इन्हें धीरे-धीरे तब वापस खींचा जाता है जब विमान गति और ऊंचाई हासिल कर लेता है।
लैंडिंग गियर को आमतौर पर उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद, जब विमान सकारात्मक चढ़ाई दर स्थापित कर लेता है, तब वापस खींच लिया जाता है, जो कि 600 फीट की ऊंचाई से काफी पहले होता है। लेकिन दृश्य साक्ष्यों से पता चलता है कि लैंडिंग गियर को थोड़ी देर के लिए वापस खींचने की कोशिश की गई, लेकिन पायलट ने इसे फिर से नीचे कर दिया। यह संभवतः थ्रस्ट या पावर की कमी महसूस होने के कारण किया गया।
Ahmedabad Plane Crash: तकनीकी खराबी की आशंका
विशेषज्ञों का मानना है कि विमान ने उड़ान भरने के तुरंत बाद पावर की कमी का सामना किया। एक संभावित परिदृश्य यह है कि लैंडिंग गियर मैकेनिकल या हाइड्रोलिक खराबी के कारण नीचे अटक गया हो। ऐसी स्थिति में, चालक दल ने ड्रैग (हवा का प्रतिरोध) कम करने और गति बढ़ाने के लिए फ्लैप्स को समय से पहले वापस खींचने की कोशिश की हो सकती है, क्योंकि नीचे लटका गियर और बाहर निकले फ्लैप्स मिलकर अत्यधिक ड्रैग पैदा करते हैं, जिससे चढ़ाई की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
हालांकि, कम ऊंचाई और कम गति पर फ्लैप्स को जल्दी वापस खींचना बहुत जोखिम भरा होता है, क्योंकि इससे लिफ्ट (उठान) कम हो जाती है और स्टॉल (विमान का अचानक नीचे गिरना) का खतरा बढ़ जाता है। फिर भी, विमान के उड़ान पथ में ज्यादा यॉइंग (बाएं-दाएं झटके) या रोलिंग (पंखों का झुकना) नहीं दिखा, जिससे लगता है कि पायलटों के पास कुछ हद तक नियंत्रण था।
Ahmedabad Plane Crash: क्या बाएं इंजन में थी खराबी?
कुछ विशेषज्ञों ने दाहिने रडर (पतवार) के उपयोग की संभावना जताई है, जो बाएं इंजन की विफलता का संकेत हो सकता है। लेकिन केवल यह अकेले लैंडिंग गियर के नीचे रहने और फ्लैप्स के वापस खींचे जाने की असामान्य स्थिति की व्याख्या नहीं करता। सामान्य परिस्थितियों में, इतनी कम ऊंचाई पर गियर और फ्लैप्स दोनों का ऐसा कॉन्फिगरेशन असंभव है।
600 फीट की ऊंचाई पर लैंडिंग गियर का नीचे होना और फ्लैप्स का पूरी तरह वापस खींचा होना एक असाधारण स्थिति है, जो या तो कई तकनीकी खराबियों की श्रृंखला या आपातकालीन स्थिति में चालक दल की त्वरित प्रतिक्रिया की ओर इशारा करता है। अंतिम ऊंचाई का नुकसान और संभावित स्टॉल अपर्याप्त लिफ्ट और अत्यधिक ड्रैग के कारण हुआ, जिससे चालक दल प्रभाव से पहले विमान को संभाल नहीं पाया।
जांचकर्ता अब इन असामान्यताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के विश्लेषण से आने वाले दिनों में दुर्घटना के सटीक कारणों का पता चलने की उम्मीद है। इस हादसे ने विमानन सुरक्षा और आपातकालीन प्रक्रियाओं पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है।