दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता में सुधार, GRAP-3 पाबंदियां हटीं

दिल्ली-एनसीआर  आबोहवा में राहत की खबर है। वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रैप-3 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए हैं। 5 जनवरी की शाम 4 से 5 बजे के बीच औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 339 दर्ज किया गया, जो पिछले दिनों की तुलना में बेहतर स्थिति को दर्शाता है। इससे पहले, 3 जनवरी को बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू की गई थीं।

क्यों लागू की गई थीं ग्रैप-3 की पाबंदियां?

3 जनवरी को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए CAQM ने ग्रैप-3 लागू किया था, जिसके तहत कई सख्त कदम उठाए गए। इन पाबंदियों का उद्देश्य वायु गुणवत्ता को और खराब होने से बचाना था। लेकिन पिछले दो दिनों में तेज हवा चलने के कारण प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई, जिससे हालात बेहतर हुए।

ग्रैप-3 के तहत क्या थे प्रतिबंध?

ग्रैप-3 लागू होने के बाद दिल्ली-एनसीआर में कई सख्त पाबंदियां लागू की गई थीं:

  • निर्माण कार्यों पर रोक: सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ से जुड़े कार्यों पर पूरी तरह से रोक लगाई गई।
  • डीजल वाहनों पर प्रतिबंध: गैर-सीएनजी और गैर-इलेक्ट्रिक डीजल वाहनों के संचालन पर रोक लगाई गई।
  • स्कूल बंद: पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने या ऑनलाइन क्लासेज का संचालन करने का निर्देश दिया गया।
  • औद्योगिक गतिविधियां: प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया।

हालांकि, अब वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद इन सभी प्रतिबंधों को वापस ले लिया गया है।

हवा में सुधार कैसे हुआ?

पिछले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे के साथ खतरनाक स्तर का प्रदूषण बना हुआ था। 3 जनवरी को हालात इतने खराब थे कि दृश्यता भी काफी कम हो गई थी। लेकिन 4 जनवरी से तेज हवा चलने लगी, जिसने प्रदूषित कणों को बिखेरने का काम किया। इसके चलते वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ और कोहरे का असर भी कम हुआ। 5 जनवरी को भी हल्की हवा चलने से वातावरण पहले की तुलना में साफ नजर आया।

CAQM की भूमिका

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण के लिए बनाया गया है। यह आयोग न केवल वायु प्रदूषण से जुड़े उपाय करता है, बल्कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पर्यावरण मुआवजा शुल्क भी लगाता है। ग्रैप लागू करना और जरूरत पड़ने पर पाबंदियां हटाना इसी आयोग की जिम्मेदारी है।