हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों की शांति और तर्पण के लिए अत्यंत फलदायी होता है। वर्ष 2026 के लिए अमावस्या की तिथियों का कैलेंडर अब उपलब्ध है, जिसके अनुसार भक्त अपने धार्मिक अनुष्ठानों की योजना बना सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। विशेष रूप से सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को ‘सोमवती अमावस्या’ और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को ‘शनिचरी अमावस्या’ कहा जाता है।
वर्ष 2026 की प्रमुख अमावस्या तिथियां
साल 2026 की शुरुआत पौष अमावस्या के साथ होगी। इसके बाद माघ महीने में पड़ने वाली मौनी अमावस्या का विशेष महत्व रहेगा। कुंभ मेले या माघ मेलों के दौरान मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करना मोक्षदायी माना गया है।
जनवरी से मार्च तक की तिथियां:
साल की पहली अमावस्या 18 जनवरी 2026 (रविवार) को पड़ेगी, जो पौष अमावस्या होगी। इसके बाद 17 फरवरी 2026 (मंगलवार) को माघ अमावस्या यानी मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। मार्च में फाल्गुन अमावस्या 19 मार्च 2026 (गुरुवार) को होगी।
अप्रैल से जून तक की तिथियां:
अप्रैल माह में चैत्र अमावस्या 17 अप्रैल 2026 (शुक्रवार) को पड़ेगी। मई में वैशाख अमावस्या 16 मई 2026 (शनिवार) को होगी, जिसे शनिचरी अमावस्या का योग भी माना जाएगा। जून में ज्येष्ठ अमावस्या 14 जून 2026 (रविवार) को होगी।
सोमवती और शनिचरी अमावस्या का योग
वर्ष 2026 में कुछ विशेष संयोग भी बन रहे हैं। जब अमावस्या सोमवार या शनिवार को पड़ती है, तो उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। शनिचरी अमावस्या पर शनि देव की पूजा और तेल चढ़ाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, सोमवती अमावस्या पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
जुलाई से सितंबर तक की तिथियां:
जुलाई में आषाढ़ अमावस्या 14 जुलाई 2026 (मंगलवार) को पड़ेगी। अगस्त में श्रावण अमावस्या 12 अगस्त 2026 (बुधवार) को होगी, जिसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। सितंबर में भाद्रपद अमावस्या 10 सितंबर 2026 (गुरुवार) को मनाई जाएगी।
पितृ पक्ष और साल की अंतिम अमावस्या
साल के अंतिम महीनों में अश्विन अमावस्या, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं, पितरों की विदाई का दिन होता है। यह 10 अक्टूबर 2026 (शनिवार) को पड़ेगी, जिससे यह भी एक शनिचरी अमावस्या होगी। इसके बाद कार्तिक अमावस्या (दीपावली) 8 नवंबर 2026 (रविवार) को मनाई जाएगी। वर्ष की अंतिम अमावस्या मार्गशीर्ष अमावस्या 8 दिसंबर 2026 (मंगलवार) को होगी।
धार्मिक दृष्टिकोण से इन तिथियों पर गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र सरोवर में स्नान करना चाहिए। यदि नदी पर जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना पुण्यकारी माना गया है।