फर्जी बिल लगाकर 160 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि हड़प ली

स्वतंत्र समय, भोपाल

मध्य प्रदेश के सरकारी खजाने से 160 करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने के मामले में वित्त मंत्री के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने जांच के आदेश दिए है। इसमें लेखा अधिकारी से लेकर डीडीओ के डिजिटल सिग्नेचर और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री खंगालेंगे के भी अधिकार दिए गए है।बता दें कि एडीजी अनिल कुमार ने कोष और लेखा आयुक्त के एसओपी के तहत जांच करने के लिए निर्देश दिए है। इसमें गलत बिल, वाउचर और फर्जी बिल लगाकर 160 करोड़ से ज्यादा की राशि निकाल ली गई। मामले में अब तक 170 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ प्रकरण भी हो चुकी है। जांच में सामने आया कि विभागों में बैठे बाबुओं ने सरकारी खजाने से परिवार के सदस्यों के खाते में धड़ल्ले से रकम पहुंचाई है। 5 सालों की डाटा एनालिसिस के बाद कोष लेखा आयुक्त ने मामले का खुलासा किया था।

सरकारी खजाने में सेंध

प्रदेश में गबन के जो मामले सामने आए हैं, उनमें आहरण एवं कोषालय अधिकारियों की गंभीर लापरवाही रही है। आहरण अधिकारियों ने लॉगिन और पासवर्ड बाबुओं को दे दिए। आहरण कार्यालयों में बिल मंजूर करने का काम भी बाबुओं के हवाले था। जिसका बाबुओं ने फायदा उठाया और गबन कर पैसा परिजनों एवं परिचितों के खातों में डाला। आहरण अधिकारियों ने कर्मचारियों के बैंक खाता बदलने के अधिकार का जमकर दुरुपयोग किया। खाते बदलकर भविष्य निधि खातों से पैसा निकाला गया। अब आयुत कोष एवं लेखा ने इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब कर्मचारियों के बैंक खाते में परिवर्तन एवं विभागीय भविष्य निधि के बैलेंस में परिवर्तन कोषालय अधिकारी के अनुमोदन उपरांत ही संभव है।