आधे तेल पर कब्जा रखने वाले 23 देशों की पहल, महंगाई से जूझती दुनिया को मिलेगी राहत

ग्लोबल इकोनॉमी को मजबूती देने के लिए ओपेक+ समूह के 23 देश एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। ये वही देश हैं जिनके पास दुनिया के आधे से ज्यादा तेल का नियंत्रण है। सूत्रों के अनुसार, ओपेक+ जल्द ही तेल उत्पादन में इज़ाफा कर सकता है। हालांकि, यह बढ़ोतरी अक्टूबर की तुलना में सीमित रहेगी, क्योंकि इस समय वैश्विक मांग अपेक्षा से कम है। अप्रैल से लागू उत्पादन कटौती रणनीति को यह कदम काफी हद तक बदल देगा।

ट्रंप का दबाव और उत्पादन बढ़ोतरी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तेल की कीमतों को कम करने के दबाव के बीच, ओपेक+ ने पहले ही बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए करीब 25 लाख बैरल प्रतिदिन का कोटा बढ़ा दिया था, जो वैश्विक मांग का लगभग 2.4% है। इसके बावजूद, तेल की कीमतों पर खास असर नहीं पड़ा और यह लगभग 66 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर है। रूस और ईरान पर पश्चिमी प्रतिबंधों ने कीमतों पर दबाव बनाए रखा है।

कितनी बढ़ सकती है सप्लाई?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओपेक+ अक्टूबर से उत्पादन में नई बढ़ोतरी शुरू कर सकता है। यह बढ़ोतरी लगभग 1.35 लाख बैरल प्रतिदिन से लेकर 3.5 लाख बैरल प्रतिदिन तक हो सकती है। अगस्त की बैठक में, ओपेक+ ने सितंबर के लिए उत्पादन में पहले ही 5.47 लाख बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी की थी।

कच्चे तेल की मौजूदा कीमतें

शुक्रवार को कमजोर अमेरिकी रोजगार आंकड़े और ओपेक+ की बढ़ोतरी की उम्मीदों के चलते ब्रेंट क्रूड वायदा 2.2% गिरकर 65.50 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। हालांकि यह अभी भी अप्रैल 2025 में दर्ज किए गए 58 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर से ऊपर है।

क्यों सीमित है उत्पादन क्षमता?

विशेषज्ञों का कहना है कि ओपेक+ के ज्यादातर सदस्य देश पहले से ही अपनी उत्पादन क्षमता के करीब काम कर रहे हैं। यही कारण है कि केवल सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ही बाज़ार में अतिरिक्त सप्लाई कर पा रहे हैं। फिलहाल, समूह ने कुछ सदस्यों के लिए 1.65 मिलियन बैरल प्रतिदिन और पूरे ग्रुप के लिए 2026 के अंत तक 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कटौती जारी रखी है।