ग्रामीण भारत से जुड़े रोजगार कानून में बड़ा और दूरगामी बदलाव प्रस्तावित किया गया है। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 को निरस्त कर उसकी जगह एक नया कानून लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके लिए लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किए जाने की तैयारी है, जिसका नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) – वीबी-जीआरएएमजी विधेयक, 2025 रखा गया है। यह विधेयक संसद की पूरक कार्यसूची में शामिल किया गया है।
मनरेगा की जगह नया कानूनी ढांचा
यदि यह विधेयक संसद से पारित होकर लागू होता है, तो वर्ष 2005 से लागू मनरेगा कानून समाप्त हो जाएगा। इसके बाद ग्रामीण रोजगार और आजीविका से जुड़े सभी प्रावधान नए कानून के तहत संचालित किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि बीते दो दशकों में ग्रामीण भारत की जरूरतें और चुनौतियां बदली हैं, ऐसे में रोजगार गारंटी कानून को भी समय के अनुरूप नए स्वरूप में ढालना जरूरी हो गया है।
हर ग्रामीण परिवार को 125 दिन रोजगार की गारंटी
प्रस्तावित विधेयक के तहत ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार की कानूनी गारंटी और अधिक मजबूत की जा रही है। नए कानून में यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल श्रम करने के लिए तैयार हों, उन्हें हर वित्त वर्ष में 125 दिनों का मजदूरी आधारित रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। यह मौजूदा व्यवस्था की तुलना में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।
‘विकसित भारत 2047’ विजन से जुड़ा लक्ष्य
विधेयक का मुख्य उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय संकल्प के अनुरूप ग्रामीण विकास का एक नया और व्यापक ढांचा तैयार करना है। सरकार का फोकस केवल रोजगार उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि आजीविका, कौशल, सामाजिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को भी इस नए मिशन से जोड़ने की योजना है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिल सके।
ग्रामीण भारत में बदल चुके हैं हालात: कृषि मंत्री
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक के उद्देश्य और कारणों के बयान में कहा कि मनरेगा ने पिछले 20 वर्षों में ग्रामीण परिवारों को मजदूरी आधारित रोजगार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके जरिए करोड़ों परिवारों को संकट के समय सहारा मिला है और गांवों में आय का स्थायी स्रोत तैयार हुआ है।
अब और सशक्त व्यवस्था की जरूरत
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े सामाजिक और आर्थिक बदलाव देखने को मिले हैं। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ा है और सरकार की कई प्रमुख योजनाएं अब संतृप्ति के स्तर तक पहुंच चुकी हैं। ऐसे में रोजगार गारंटी से जुड़े कानून को भी नए हालात के अनुरूप अधिक मजबूत, व्यापक और प्रभावी बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
ग्रामीण रोजगार की नई दिशा
सरकार का मानना है कि नया विधेयक केवल रोजगार देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका के लिए एक समग्र और दीर्घकालिक ढांचा तैयार करेगा। यदि यह कानून लागू होता है, तो यह ग्रामीण भारत में रोजगार, आय सुरक्षा और विकास की दिशा में एक नया अध्याय साबित हो सकता है।