लेखक
तरुण भटनागर
टोनी जोसफ की लिखी अर्ली इंडियन्स ( Early Indians ) ने भारत के मूलनिवासी कौन हैं और किस तरह से भारत की आज की वैविध्यपूर्ण जनसंख्या का निर्माण हुआ, इस विषय पर लिखी किताबों में से हाल के वर्षों में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल यह थोड़ा जटिल विषय है पर आसान भाषा में टोनी जोसफ ने इस बात को इस किताब में लिखा है. छोटे वाक्यों में आम बोलचाल की जबान में भारतीय उपमहाद्वीप में मानव के सबसे पहले पड़े कदम से लेकर वैदिक काल तक के प्राचीन समय में लोगों के आने, बसने और इस क्षेत्र में संस्कृति के विकास की एक रोचक कहानी यह किताब कहती है.
Early Indians किताब का हिंदी अनुवाद भी आया है
एक अच्छी बात यह है कि दक्षिण एशिया में मानव जिनोम के जो नवीनतम अध्ययन हैं, विशेष रूप से इस काम के अग्रणी वैज्ञानिकों के किये अनुसन्धान जो हावर्ड विश्वविद्यालय से 2018 में प्रकाशित हुए, उन्हें इस किताब को लिखने का महत्वपूर्ण आधार बनाया गया है. अर्ली इंडियन्स ( Early Indians ) किताब का हिंदी अनुवाद भी आया है आरंभिक भारतीय नाम से और अगर हिंदी में कहीं- कहीं दुरूह शब्दों की दिक्कत को नजऱअंदाज़ कर दिया जाए तो यह एक ठीक- ठाक पठनीय अनुवाद है, यद्यपि इसे और सहज भाषा में हिंदी में भी लाया जा सकता था जैसा कि किताब अपनी मूल भाषा में लिखी है. सामान्यत: प्राचीन भारतीय लोगों के बारे में अध्ययन पुरातत्व, भाषाशास्त्र और मानव विज्ञान के अनुसन्धानों और खोज-खबर पर आश्रित रहता रहा है और इस लिहाज से पापुलेशन जेनेटिक्स का बहुत आसान भाषा में प्रयोग कर व्याख्या करने वाली यह अपने आप में एक अनूठी किताब है.
दरअसल यह जानना रोचक है कि हमारी संस्कृति के रचनाकार कौन लोग थे और वे किस तरह से इन इलाकों में आये जिसे हम आज का भारत कहते हैं और थोड़ा व्यापक रूप से जिसे भारतीय उपमहाद्वीप के रूप में देखकर ज्यादा आसानी से इस विषय को समझा जा सकता है . यद्यपि आज से हज़ारों साल पहले के समय को आज के नक्शे के हिसाब से देखने की अपनी दिक्कतें हैं, क्योंकी तब न तो धरती का नक्शा इस तरह से था और न ही आज की तरह से मुल्कों की सीमाएं थीं, पर फिर भी किसी क्षेत्र के प्राचीन लोगों को जानने की इच्छा एक ऐसी चीज है कि अध्ययनों के माफऱ्त इसका जवाब दिया जा सकता है. अफ्रीका में उत्पत्ति के बाद मानव के अफ्रीका के बाहर माईग्रेट होने याने आउट ऑफ़ अफ्रीका के सिद्धांत पर थोड़ा संक्षेप में पर भारत के सन्दर्भ में सभी पक्षों के साथ इस किताब में बताया गया है. लगभग 65 हज़ार साल पहले आधुनिक मानव के भारत आगमन पर भी काफ़ी कुछ इस किताब में है. यद्यपि भारत के विभिन्न जनजातीय समूहों का अध्ययन इसमें शामिल है पर वहीं भारत में मिले मानव के सबसे पुराने फॉसिल्स याने नर्मदा मानव पर बहुत ही संक्षेप में बातें की गयीं हैं. यह सही है कि नर्मदा मानव का आज भी जेनेटिक अध्ययन होना है, पर इस पर कई अनुसन्धान हुए हैं जिन्हें अवश्य ही इस किताब में होना चाहिए था. सिंधु घाटी के लोगों की निर्मिति और इस सबसे पुरानी भारतीय सभ्यता के रचनाकारों पर कई विवरण इस किताब में हैं. इसी वक़्त और इससे पहले हुए मानवों के माइग्रेशन पर जो कि मध्य-पूर्व के कुछ क्षेत्रों से हुआ था और भारतीय उपमहाद्वीप में तीसरा प्राचीन जनसंख्या स्थानांतरण था, पर कई रोचक बातें इस किताब में हैं ही. दरअसल यह निर्विवादित हो गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में मानवों की उपस्थिति सैपियन्स याने आधुनिक मानव से पहले से रही है, पर यही जो कि सबसे पहले मानव की बात रही है, उसके बनिस्बत सैपियन्स पर ज्यादा विस्तार से इस किताब में बात की गयी है. शायद यह बात हो कि यह शब्द सैपियन्स इतना प्रचलित है कि इससे ही अपनी बात की शुरुआत रुचिकर होती है, पर इससे एक तरह का भ्रम भी पैदा होता है, क्योंकी मानव इससे भी पहले से धरती पर रहा है भले वह सैपियन्स न रहा हो.
होता यूँ है कि किसी अन्य ऐतिहासिक साक्ष्य को पुरातत्व के साक्ष्य अपदस्थ कर देते हैं और कोई ऐसा साक्ष्य जो पापुलेशन जेनेटिक्स जैसे विषय से आता हो हो सकता है पुरातात्विक साक्ष्य को भी अमान्य करने में सक्षम हो. प्राचीन अतीत को जाना नहीं जा सकता है, इसलिए इतिहास को बरतने वाले सबसे सच्चे जानकार वे हुए जिन्होंने कहा कि यह कोई सच नहीं, एक निष्कर्ष भर है. यह रोचक है कि टोनी जोसफ़ ने प्राचीन काल के सबसे चर्चित माइग्रेशन याने आर्यों के लिए पापुलेशन जेनेटिक्स की बातों का सहारा लिया है.आर्यों के बारे में जो पुराना प्रचलित सिद्धांत था वह किस तरह से बदल गया है, इस पर विस्तार से इसमें बात है. यद्यपि भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों का आगमन और भारतीय उपमहाद्वीप से लोगों का प्रवजन यहाँ रुक नहीं जाता, पर यह किताब यहीं तक है और शायद ही कोई इस बात को मान पाए कि जैसा इस किताब में है कि आर्यों का आगमन अन्तिम बड़ा माइग्रेशन था. सहमति और असहमति एक बात है पर इतने जटिल विषय को बहुत आसान भाषा में बरत पाने का जो काम इस किताब में हुआ है, वह काबिले तारीफ़ है और यह भी है कि इतिहास और मानव विज्ञान जैसे विषयों के पढ़ाकू और इस रोचक विषय को जानने को उत्सुक लोगों के लिए यह एक उपयोगी किताब है।
( लेखक चर्चित कहानीकार और उपन्यासकार हैं )