ज्ञानेश कुमार : मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को जारी की जाएगी। इस सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए लोगों और राजनीतिक दलों को 1 महीने का समय मिलेगा। यह प्रक्रिया विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत की जा रही है। राज्य के सभी 38 जिलों में राजनीतिक पार्टियों को मतदाता सूची की छपी हुई और डिजिटल प्रति उपलब्ध कराई जाएगी। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक कोई भी मतदाता या पार्टी अपनी आपत्ति दर्ज करा सकती है। वे नाम जोड़ने, गलत नाम हटाने या सूची में सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं।
तीन चरणों में एसआईआर प्रक्रिया जारी
चुनाव आयोग ने बताया कि एसआईआर प्रक्रिया तीन हिस्सों में हो रही है। पहला हिस्सा 24 जून से 25 जुलाई तक है, उसके बाद 1 अगस्त को मतदाता सूची का मसौदा जारी होगा। दूसरा हिस्सा 1 अगस्त से 1 सितंबर तक है, जब कोई भी गलती सुधारने के लिए दावा या आपत्ति दर्ज करा सकता है। तीसरे हिस्से में 25 सितंबर तक सभी दावे जांचे और निपटाए जाएंगे।
एसआरआई के उद्देश्य
सभी मतदाता और राजनीतिक पार्टियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना
बिहार के सभी योग्य मतदाताओं को शामिल करना
बिहार के अस्थायी प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर न रखना
बिहार के सभी शहरी मतदाताओं को कवर करना
सभी युवा मतदाताओं को सूची में शामिल करना
मतदाताओं और राजनीतिक दलों को नियमित रूप से जानकारी प्रदान करना
वॉलंटियर्स और चुनाव कर्मचारियों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित करना
गणना के दौरान सामने आए सभी मुद्दों का समाधान करना
1 अगस्त से 1 सितंबर तक मसौदा मतदाता सूची में मौजूद गलतियों को ठीक करना
विपक्षी दल के लगाए आरोप
सीईसी का बयान उस समय आया है जब विपक्षी दल एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में जरूरी कागजात न होने से कई योग्य लोग वोट नहीं दे पाएंगे। विपक्षी दल यह भी कहते हैं कि बिहार में चुनाव अधिकारी सत्ताधारी भाजपा-जदयू गठबंधन के दबाव में आ सकते हैं और चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में मानसून सत्र के दौरान रोजाना हंगामा होता रहा है। विपक्ष और सरकार के बीच इस पर विवाद जारी है।