इंदौर के भूमाफिया पर एक बार फिर कानून का शिकंजा गिर गया है। यहां भूमाफियाओं ने करोड़ों की ठगी कर ‘हवा’ में ही प्लॉट! बेच डाले। इंदौर में एक बार फिर जमीन के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। इस बार निशाने पर हैं शहर के कुख्यात भूमाफिया अरूण डागरिया, चंपु अजमेरा और उनके सहयोगी, जिन्होंने मुंबई के एक भरोसेमंद परिवार को सपनों की जमीन दिखाकर ‘खेत’ बेच डाले!
2017 से मांग रहे थे न्याय
पूरे प्रकरण की शुरुआत साल 2017 से होती है। जब अरूण डागरिया ने मुंबई निवासी प्रफुल्ल दोशी को ‘सेटेलाईट इंफ्रा रियलस्टेट प्रा. लि.’ नामक अपनी रियल एस्टेट कंपनी के तहत “शांति पार्क” और “सेटेलाइट जंक्शन पार्ट-2” जैसी नामी-गिरामी कालोनियों में प्लॉट बेचने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव इतना लुभावना था कि प्रफुल्ल दोशी ने एक नहीं, पूरे 9 प्लॉटों के लिए करीब 2 करोड़ रुपये निवेश कर दिए। यहीं आश्वासन में दिए गए, अलॉटमेंट लेटर सौंपे गए । जिसके बाद वो भी कंपनी के लेटरहेड, सील और हस्ताक्षर सहित सौंप दिए गए। लेकिन जब दोशी ने जमीन पर कदम रखा, तो वहां न कालोनी थी, न सड़क, न बिजली—बस लहलहाते खेत और सन्नाटा पसरा हुआ था वहां कालोनियों के बोर्ड तक नहीं थे।
“सपनों का घर” निकला धोखा
जब कालोनियों कि जगह पर वास्तविकता सामने आई तो दोशी परिवार के होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल अरूण डागरिया से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जवाब मिला कि “अब बात मत करना, हम देख लेंगे!” फोन उठना बंद हो गए, वादे हवा में उड़ गए।और दोशी परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकने लगा बात यहीं नहीं रुकी। जब दोशी ने दस्तावेजों की सत्यता जांची, तो खुलासा हुआ कि जिन प्लॉटों के लेटर उन्हें दिए गए, वे फर्जी थे। जमीन उन लोगों की थी ही नहीं। एक साथ 9 प्लॉटों में ठगी, लाखों रुपये हड़प लिए गए और बदले में मिला सिर्फ झूठा आश्वासन।
पैसे भी गए, पत्नी भी खोई
इस बीच, करोड़ रूपए खोने और धोखाधड़ी से परेशान होने पर दोशी पत्नी सरिता दोशी का 2024 में देहांत हो गया। दोशी ने प्लॉट बेचने की कोशिश की तो फिर सामने आई क्रूर सच्चाई जो इस तरह थी। ये तो एक सुनियोजित साजिश थी जिसकी थाने में शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। फिर दोशी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, और आखिरकार 13 मई 2025 को कोर्ट के आदेश पर थाने लसूड़िया में अरूण डागरिया, चंपु अजमेरा, अतुल सुराणा, महेन्द्र जैन सहित अन्य पर IPC की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 418, 467, 468, 471 (जालसाजी), और 120बी (षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज हुआ।
कहानी में फिर आया नया मोड़
इस पूरे मामले ने इंदौर के भूमाफिया नेटवर्क की जड़े तो हिला दी हैं। जिन्होने मासूम लोगों के विश्वास को तोड़ कर जमीनों का करोड़ों में खेल किया उन्हें सजा अवश्य मिलेगी। यहीं भूमाफियाओं ने वर्षों से जमीन पर राज किया, लेकिन अब पीड़ितों की आवाजें बुलंद हो रही हैं।अब देखना यह होगा कि क्या कानून की गिरफ्त इन नामचीन भूमाफियाओं को जेल की सलाखों तक पहुंचा पाएगी या फिर मामला एक बार फिर ‘पैसे’ के नीचे दब जाएगा? खैर मिली जानकारी के अनुसार भूमाफियों ने भी न्यायालय की शरण लेकर कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया है। अब देखना यह है कि भूमाफियों की करतुत से एक आम व्यक्ति को न्याय मिलेगा या तारिखे पर तारिखे चलती रहेगी। फिलहाल इंदौर में यह मामला चर्चा का केंद्र है। क्योंकि यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों निवेशकों की है, जिनके सपनों की नींव इन भूमाफियाओं ने हिला दी।