हिंदू पंचांग के अनुसार आज का दिन कई मायनों में पवित्र और फलदायी माना जा रहा है। आज ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जिसे अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इस दिन उपवास करने से व्यक्ति को दुखों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी का महत्व – पुण्य की प्राप्ति और पापों का नाश
शास्त्रों में बताया गया है कि अपरा एकादशी का व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है। यह उपवास विशेष रूप से मोक्ष की कामना करने वाले साधकों के लिए लाभकारी होता है। इस दिन की गई पूजा, दान और ध्यान साधना विशेष फल प्रदान करती है।
आज बन रहे शुभ संयोग – अमृत सिद्धि और बुधादित्य योग
आज के दिन कई विशेष योग भी बन रहे हैं जो इसे और भी फलदायक बनाते हैं। अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और आयुष्मान योग जैसे शुभ संयोग आज बन रहे हैं। साथ ही, बुध देव का शुक्र की राशि वृषभ में गोचर और सूर्य के साथ युति के कारण बुधादित्य योग बन रहा है, जो कुछ राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
पौराणिक कथा – राजा महीध्वज की आत्मा को मिली मुक्ति
अपरा एकादशी से जुड़ी कथा भी काफी प्रेरणादायक है। कथा के अनुसार, महीध्वज नामक राजा को उसके छोटे भाई ने छलपूर्वक मार दिया और उसका शव एक पीपल के नीचे दबा दिया। उस राजा की आत्मा प्रेत रूप में वहीं रहने लगी और लोगों को परेशान करने लगी। एक दिन धौम्य ऋषि उस स्थान से गुजरे और उन्होंने उस आत्मा को तारण मार्ग दिखाया।
ऋषि ने व्रत कर दिलाई आत्मा को मुक्ति
धौम्य ऋषि ने महीध्वज की आत्मा की मुक्ति के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और ईश्वर से प्रार्थना की। ऋषि की तपस्या और व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और वह स्वर्ग को प्राप्त हुआ। इसी कारण यह व्रत आत्मा की शांति और पापों के नाश के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
व्रत का समय – जानिए कब से कब तक है एकादशी तिथि
इस बार अपरा एकादशी की तिथि 23 मई को रात 1 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 23 मई को ही पूरे दिन व्रत रखा जा रहा है। व्रतधारियों को इस दौरान नियमों का पालन करते हुए भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए।