हर इंसान के जीवन में खुद का घर होना एक बड़ा सपना होता है। जब यह सपना पूरा करने का समय आता है और होम लोन की जरूरत पड़ती है, तो सबसे बड़ा असमंजस यही होता है कि लोन कहां से लिया जाए—बैंक से या फिर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) से। दोनों ही विकल्पों के अपने फायदे और शर्तें होती हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है।
नए उधारकर्ताओं के लिए NBFC का आकर्षण
NBFCs उन लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जो पहली बार होम लोन लेने जा रहे हैं या जिनका क्रेडिट स्कोर मजबूत नहीं है। इसके अलावा, जो लोग सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं या अस्थायी आय स्रोतों से जुड़े हैं, उनके लिए भी NBFC बेहतर विकल्प बनकर उभरे हैं। इन संस्थानों का लोन अप्रूवल जल्दी होता है और डॉक्युमेंटेशन भी सरल रहता है।
NBFC का लचीलापन और सुविधाएं
NBFC पर बैंकों जैसी कड़ी निगरानी नहीं होती, जिससे वे ज्यादा लचीले तरीके से लोन दे सकते हैं। ये संस्थाएं ग्राहकों को फ्लेक्सिबल EMI, कम प्रोसेसिंग समय और आसानी से लोन स्वीकृति जैसे लाभ देती हैं। यही कारण है कि युवाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये फाइनेंस कंपनियां एक मुफीद विकल्प बनती जा रही हैं।
बैंकिंग संस्थानों की विश्वसनीयता
वहीं दूसरी ओर, अगर आपकी नौकरी स्थिर है, आय नियमित है और क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो बैंक से लोन लेना ज्यादा फायदेमंद और भरोसेमंद माना जाता है। बैंकों की ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम होती हैं, और उनकी प्रक्रिया पारदर्शी रहती है, क्योंकि वे सीधे आरबीआई के नियमों के अधीन होती हैं।
बैंक के लाभ: स्थायित्व और सुरक्षा
बैंकों से होम लोन लेने पर ग्राहक को कम प्रोसेसिंग चार्ज, समय से पहले भुगतान करने की छूट और EMI में स्थायित्व जैसे फायदे मिलते हैं। साथ ही, बैंकों की वित्तीय स्थिति आमतौर पर मजबूत होती है, जिससे ग्राहक ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
सही विकल्प का चुनाव कैसे करें?
यदि आप नौकरीपेशा हैं और आपका वित्तीय रिकॉर्ड अच्छा है, तो बैंक से होम लोन लेना समझदारी भरा होगा। लेकिन अगर आप फ्रीलांसर, व्यापारी या हाल ही में नौकरी बदलने वाले हैं, और चाहते हैं कि जल्दी लोन स्वीकृत हो, तो NBFC का विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है।
लोन लेने से पहले पूरी जांच करें
चाहे बैंक हो या NBFC, लोन लेने से पहले आपको ब्याज दर, प्रोसेसिंग शुल्क, EMI विकल्प, फोरक्लोजर शर्तें और ग्राहक समीक्षाएं अच्छी तरह से जांच लेनी चाहिए। ऐसा करने से आप सही संस्थान चुन पाएंगे और भविष्य में किसी भी तरह की वित्तीय परेशानी से बच सकेंगे।