स्वतंत्र समय, मुंबई
मेरठ से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे अरुण गोविल ( Arun Govil ) को कारोबार से इतना प्रेम था कि वह खुद भी कारोबारी बनना चाहते थे। उनके पिता चंद्रप्रकाश गोविंद मेरठ नगर पालिका में जल अधिकारी थे। वह चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर बड़ा अधिकारी बने। अरुण की किस्मत उन्हें कहीं और ले जाना चाहती थी। पहले बतौर अभिनेता देशभर का प्रेम मिला और अब बतौर नेता आमजन का विश्वास जीतने चुनावी मैदान में उतर गए हैं। अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1958 को मेरठ के कैंट में हुआ। शुरुआती पढ़ाई लिखाई सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। महावीर और राजकीय इंटर कॉलेज से भी पढ़े। सहारनपुर शाहजहांपुर में भी पढ़ाई करने गए। उनकी औपचारिक शिक्षा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से हुई। फिर कुछ नाटकों में अभिनय करने लगे। पिता के अमीर कारोबारी दोस्तों को देखकर लगता था कि उन्हें भी कारोबारी बनना चाहिए। उनके छ: भाई और दो बहने हैं। वह चौथे नंबर के हैं। अभिनेत्री श्रीलेखा से शादी की है। उनके दो बच्चे हैं। बिजनेस करने के सिलसिले में ही वह मुंबई गए थे वहां जाकर कलाकार बन गए। रामानंद सागर की रामायण में जब उन्हें लीड रोल मिला तो किस्मत ही बदल गई। देश उन्हें राम के तौर पर पूजने लगा। 1977 में गोविल की पहली फिल्म आई, लेकिन वह नहीं चली। जब रामायण में कामयाबी मिल गई तो टीवी इंडस्ट्री के हो गए।
अग्रवाल का टिकट काटकर Arun Govil को खड़ा किया
मेरठ सीट से पिछली बार भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल और बसपा सपा गठबंधन के प्रत्याशी हाजी याकूब के बीच मुकाबला था। महज 4000 वोट की जीत मिलने के बाद अग्रवाल का टिकट इस बार खतरे में बताया जा रहा था। भाजपा हाईकमान का मानना था कि जहां कम अंतर से जीते हैं वहां किसी स्टार प्रत्याशी को उतरना होगा । यही वजह है कि अग्रवाल का टिकट काटकर अरुण गोविल (Arun Govil ) को लोकसभा में खड़ा किया गया है।