Asia Cup: एशिया कप 2025 को लेकर अनिश्चितता एक बार फिर गहराती नजर आ रही है। हाल ही में ढाका में प्रस्तावित एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) की बैठक में भारत और श्रीलंका के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने इस टूर्नामेंट की मेज़बानी को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के चलते दोनों देशों ने बैठक में शामिल न होने का निर्णय लिया।
भारत सितंबर 2025 में एशिया कप की मेज़बानी करने वाला है, लेकिन ढाका की बैठक में शामिल न होने से यह अटकलें तेज़ हो गई हैं कि टूर्नामेंट कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत पहले ही अगस्त 2024 में बांग्लादेश दौरे को स्थगित कर चुका है, जिसका कारण आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यस्तता बताया गया है, हालांकि इसके पीछे राजनीतिक कारण भी अहम माने जा रहे हैं।
पाकिस्तान के एक वरिष्ठ एसीसी अधिकारी ने टेलीकॉम एशिया स्पोर्ट को बताया कि बैठक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ढाका में ही होगी, चाहे सभी सदस्य देश वहां मौजूद रहें या ऑनलाइन माध्यम से जुड़ें। “हमने सभी सदस्यों को तैयारियां करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। यदि कोई देश ढाका नहीं आना चाहता, तो उनके लिए वर्चुअल विकल्प मौजूद है, लेकिन बैठक का आयोजन यहीं होगा,” अधिकारी ने कहा।
ढाका में यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पाकिस्तान और बांग्लादेश 20 से 24 जुलाई तक एक T20 त्रिकोणीय सीरीज़ खेल रहे हैं। इसी वजह से एसीसी ने बैठक को वहीं आयोजित करने का निर्णय लिया, साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि लंबे समय से बांग्लादेश में कोई एसीसी बैठक आयोजित नहीं हुई थी।
Asia Cup की मेजबानी के लिए तैयार
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत 5 सितंबर से एशिया कप की मेज़बानी करने को तैयार है, लेकिन बीसीसीआई एसीसी से टूर्नामेंट को किसी तटस्थ स्थल पर कराने की अनुमति मांग सकता है। यह फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक तनातनी के कारण लिया जा सकता है, क्योंकि दोनों देशों की सरकारें एक-दूसरे के दौरे की अनुमति नहीं दे रही हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान दौरे से इनकार किया था, जिसके बाद एक समझौता हुआ कि भारत के मैच दुबई में कराए जाएंगे और इसके बदले में पाकिस्तान की टीम भी 2027 तक भारत में किसी बहुपक्षीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेगी।
इस पूरे परिदृश्य में एसीसी की तरफ से बीसीसीआई को यह पूछा गया है कि क्या वे वाकई टूर्नामेंट की मेज़बानी के इच्छुक हैं या नहीं। हालांकि अभी तक भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो एशिया कप हमेशा से राजनीतिक कारणों के चलते विवादों में रहा है। 1986 में भारत ने श्रीलंका से रिश्तों में खटास के चलते टूर्नामेंट का बहिष्कार किया था, जबकि 1990 में पाकिस्तान ने भारत में आयोजित एशिया कप में भाग नहीं लिया था।
अब एक बार फिर वही परिदृश्य सामने आता दिख रहा है — टूर्नामेंट की तारीखें पास आती जा रही हैं लेकिन राजनीतिक मतभेद और राजनयिक रिश्तों की पेचीदगियों के चलते एशिया कप का भविष्य अधर में लटका हुआ है।