धरती पर कल लौटेंगे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, अनडॉकिंग से पहले बोले- ‘सारे जहां से अच्छा…’

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रविवार शाम को अंतरिक्ष में उनके सफल वैज्ञानिक मिशन की समाप्ति के अवसर पर एक विदाई भोज का आयोजन किया गया। यह समारोह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारतीय समयानुसार शाम 7:25 बजे आयोजित हुआ, जिसमें मिशन एक्सिओम-4 के दल को सम्मानपूर्वक विदाई दी गई।

इस मिशन की समाप्ति के साथ ही भारत ने पहली बार किसी अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक भेजकर एक नया अध्याय रच दिया है। शुक्ला और उनकी टीम सोमवार को पृथ्वी पर वापसी करेगी।

शुभांशु शुक्ला ने रचा नया इतिहास

शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा बनकर अंतरिक्ष में कदम रखने वाले भारत के दूसरे नागरिक बनने का गौरव प्राप्त किया। उनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत रूस के सैल्यूट-7 स्टेशन से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। इस मिशन में शुक्ला की भूमिका बतौर पायलट रही, जबकि अमेरिका की पेगी व्हिटसन ने क्रू कमांडर की जिम्मेदारी संभाली। इनके अलावा पोलैंड के स्लावोस्ज और हंगरी के टिबोर भी इस दल में शामिल रहे। यह दल 25 जून को लॉन्च हुआ था और 26 जून को ISS पहुंचा था।

विदाई समारोह में भारत के लिए संदेश

फेयरवेल समारोह के दौरान शुभांशु शुक्ला ने भावुक शब्दों में भारत के लिए संदेश देते हुए कहा, “41 साल पहले राकेश शर्मा ने बताया था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, और मैं आज फिर कह सकता हूं,  भारत अब भी सबसे सुंदर है।”

अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरराष्ट्रीय भोज

जैसे ही मिशन अपने समापन की ओर बढ़ा, अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद 11 अंतरिक्ष यात्रियों ने छह देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक सांस्कृतिक भोज का आयोजन किया। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने बताया कि यह शाम उनके जीवन की सबसे अविस्मरणीय स्मृतियों में से एक रही। डिनर में बीफ और चिकन फजीटा, साथ ही कंडेन्स्ड मिल्क और अखरोट से बने केक जैसे व्यंजन परोसे गए। अंतरिक्ष में इस तरह की एकता और भाईचारे का दृश्य दुर्लभ होता है।

अंतरिक्ष में अपने 17 दिनों के प्रवास के दौरान शुभांशु शुक्ला ने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। उन्होंने मायोजेनेसिस नामक जैविक अध्ययन पर काम किया, जिसका उद्देश्य यह समझना था कि माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की कार्यक्षमता क्यों घटती है। इस शोध से मांसपेशी रोगों के लिए भविष्य में इलाज विकसित किया जा सकता है, न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए, बल्कि पृथ्वी पर पीड़ित रोगियों के लिए भी।

माइक्रोएल्गी और अन्य महत्वपूर्ण अध्ययन

शुक्ला ने अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) पर भी प्रयोग किया, जो भविष्य में ऑक्सीजन, भोजन और ईंधन के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। उन्होंने स्पेससूट की टेस्टिंग, मस्तिष्क पर अंतरिक्ष के प्रभाव, आंखों की मूवमेंट, ब्रेनवेव्स और ब्लड फ्लो जैसे विषयों पर भी शोध कार्य किए। माइक्रोग्रैविटी में रक्त प्रवाह के अध्ययन के लिए उन्होंने अल्ट्रासाउंड तकनीक का प्रयोग किया और विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया।

पृथ्वी पर वापसी की प्रक्रिया

अंतरिक्ष स्टेशन से एक्सिओम-4 मिशन का दल भारतीय समयानुसार सोमवार शाम 4:35 बजे रवाना होगा। इसके बाद कैलिफोर्निया तट के पास उनका स्पलैशडाउन (पृथ्वी पर उतरना) होगा। इस प्रक्रिया के बाद शुक्ला को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल ढलने के लिए सात दिनों के विशेष पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा, जिसमें फ्लाइट सर्जन की निगरानी में उन्हें फिट किया जाएगा।

इस पूरे अभियान को सफल बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए। यह निवेश न केवल तकनीकी दृष्टि से उपयोगी साबित हुआ, बल्कि गगनयान मिशन की नींव को और मज़बूत करेगा, जो कि भारत का आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है और 2027 तक इसे लॉन्च करने की योजना है।