माता अहिल्याबाई होलकर की कर्मभूमि इंदौर में जहां शासन की परिभाषा कभी दृढ़ संकल्प और संवेदनशीलता से लिखी गई थी, आज उसी धरोहर को आगे बढ़ा रही हैं शहर की अंतर्राष्ट्रीय महिला एथलीट सुश्री सुरभि सांखला जो सिर्फ खेल की दुनिया में ही नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता को भी आकार देने की दिशा में सशक्त बदलाव करने का संदेश दे रही है।
महिलाओ को बना रही है सशक्त
मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स जैसी चुनौतीपूर्ण और पुरुष-प्रधान मानी जाने वाली विधा में कदम रखकर सुरभि ने न सिर्फ खेल के नियमों को चुनौती दी, बल्कि इस धारणा को भी तोड़ा कि आत्मरक्षा की ट्रेनिंग केवल शारीरिक ताकत का खेल है। वे आज बालिकाओं से लेकर महिलाओं तक को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देकर उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बना रही हैं, साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित कर रही हैं। सुरभि का मानना है, “लड़कियों को जितना पढ़ाना जरूरी है, उतना ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी जरूरी है। जब वे अपने पैरों पर खड़ी होंगी, तभी समाज और परिवार दोनों मजबूत होंगे।”
ताकतवर खिलाड़ियों को दी शिकस्त
2023 में उज्बेकिस्तान में आयोजित 177 देशों की मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने उज्बेक खिलाड़ी को हराकर कांस्य पदक जीता। वहीं 2024 में बहरीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में, उन्होंने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी को मात देकर रजत पदक हासिल किया – और यह जीत खास इसलिए मानी जाती है क्योंकि उन्होंने खुद से कई गुना अधिक ताकतवर खिलाड़ी को शिकस्त दी थी।
हर जगह उनकी अलग पहचान
बचपन से ही खेलों में रुचि रखने वाली सुरभि ने बास्केटबॉल, हैंडबॉल और बैडमिंटन जैसे खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाण-पत्र हासिल किए। खेलों के साथ पढ़ाई में भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। केन्द्रीय विद्यालय से स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने वाणिज्य में स्नातक, फिर एलएलबी और एलएलएम में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया। वर्तमान में वे पीएचडी कर रही हैं। पेशे से वकील और दिल से समाजसेविका, सुरभि की शख्सियत कई परतों में बसी है। वर्तमान में वे इंदौर हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं, मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की एडवोकेट हैं।
कई पुरस्कारों गया नवाजा
उनकी प्रेरणादायक यात्रा को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। अब उनका अगला सपना है कि एक ऐसी आधुनिक अकादमी की स्थापना, जहां लड़कियां न केवल शिक्षा पाएंगी, बल्कि आत्मरक्षा, मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास के गुर भी सीखेंगी।