स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 70 प्लस उम्र वाले बुजुर्गों को दी गई हेल्थ गिफ्ट लगातार पिछड़ते जा रही है। इसकी वजह है लक्ष्य से कम आयुष्मान कार्ड ( Ayushman card ) बनना। हालांकि पहले पंद्रह दिन में एमपी की स्पीड अन्य राज्यों की तुलना में अच्छी है, लेकिन 32 लाख से अधिक बुजुर्ग अभी भी इंतजार में ही दिन काट रहे हैं। यही स्पीड रही तो प्रदेश के सारे पात्र बुजुर्ग अगले साल के बाद ही इस स्वास्थ्य योजना का लाभ उठा पीएम मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ एमपी में अक्टूबर के अंत से मिलना शुरू हुआ है। करीब 15 दिन से रोजाना पंजीयन के साथ कार्ड बनाने का काम चल रहा है।
शुरूआती 15 दिनों में 2 लाख 667 का ही बना Ayushman card
प्रदेश में कुल 34 लाख 73 हजार 325 बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड ( Ayushman card ) बनाए जाना है। मगर पहले 15 दिन में जो स्पीड है उसे देखते हुए अगले साल तक अधिकांश के हिस्से में इंतजार ही आ सकता है। जानकारी के अनुसार शुरूआती 15 दिनों में एमपी में कुल 2 लाख 667 बुजुर्गों तक इस योजना का लाभ पहुंच सका है। प्रशासन का दावा है कि प्रदेश में प्रतिदिन 30 से 35 हजार लोगों के कार्ड बन रहे हैं। जबकि हकीकत में यह आंकड़ा 14 से 15 हजार प्रतिदिन ही है। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. योगेश भरसट का दावा है कि अब तक यहां 70 वर्ष से अधिक आयु के 2 लाख 667 आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इस आंकड़े के साथ एमपी पूरे देश में नंबर वन पर है, जबकि 1 लाख 76 हजार 167 कार्ड बनाकर केरल सेकंड है। साथ ही डॉ. भरसट का दावा है कि 15 जनवरी तक 34 लाख 73 हजार 325 लोगों के कार्ड बनाने का लक्ष्य है। ताकि प्रदेश के शत प्रतिशत बुजुर्गों का योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाए। इसके लिए प्रदेश में प्रतिदिन 30 से 35 हजार बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड बन रहे हैं। मगर वर्तमान स्पीड को देखते हुए प्रदेश में 70 साल की उम्र से अधिक वाले सभी बुजुर्गों को अगले आठ माह में भी कार्ड मिलते नहीं दिख रहे। पहले 15 दिन जो उत्साह से भरे होते हैं, उनमें एक दिन में बमुश्किल 15 हजार बुजुर्गों के ही कार्ड बन सके हैं। यही स्पीड रही तो अगले 231 दिन में टारगेट पूरा हो सकेगा। यदि प्रशासन के दावे को ही मान लिया जाए तो भी 30 हजार प्रतिदिन के हिसाब से 115 दिन में बाकी बचे 32 लाख बुजुर्गों तक योजना का लाभ पहुंच सकेगा। यदि प्रशासन 15 जनवरी तक सभी को लाभ देना चाहती है तो हर रोज 52 हजार से अधिक बुजुर्गों का पंजीयन कराना होगा। मगर जिस ढंग से परेशानियां सामने आ रही हैं। उनमें यह आंकड़ा एक सपना ही नजर आता है। लोगों को भी जागरूक करना होगा।
ये आ रहीं परेशानियां…
- बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड बनाने में सबसे पहली समस्या तो सर्वर की आ रही है। ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में काफी दिक्कत है। सर्वर के साथ बिजली का भी संकट है। सर्वर की स्लो स्पीड के कारण बहुत कम संख्या में लोगों का रजिस्ट्रेशन हो पा रहा है।
- बुजर्गों के फिंगर प्रिंट का मिलान न होने से बायोमैट्रिक्स में परेशानी आ रही है। लोगों को कई चक्कर काटना पड़ रहे हैं।
- समग्र आईडी और आधार कार्ड में नाम की स्पेलिंग, पिता का नाम, पता, उम्र संबंधी जानकारी अलग-अलग होने से भी मुश्किल हो रही है। अधिकांश बुजुर्गों की समग्र आईडी ही अपडेट नहीं है।
- आयुष्मान वय योजना का पूरा काम मोबाइल पर होना है। मगर बुजुर्गों के पास मोबाइल नहीं होने या आधार से लिंक न होने से भी परेशानी हो रही है। ओटीपी न जाने के कारण रजिस्ट्रेशन रुक रहा है।