Baba Mahakal Shahi Sawari: आज सावन मास का दूसरा सोमवार है, और इस शुभ अवसर पर उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के कपाट तड़के 2:30 बजे खोल दिए गए। यहां सबसे पहले दिव्य भस्म आरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आरती के बाद कर्पूर आरती, नंदी पूजन, और विशेष ध्यान-स्नान की प्रक्रिया विधिवत संपन्न हुई। श्रद्धालु जयकारों के साथ बाबा महाकाल के दर्शन को उमड़ पड़े, और पूरा मंदिर परिसर भक्ति की भावना से गूंज उठा।
बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार और पूजन विधि
सुबह की पूजा के पश्चात बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार किया गया, जिसमें उन्हें पंचामृत से स्नान कराया गया। दूध, दही, शहद, घी और शक्कर के साथ-साथ फलों के रस से विशेष अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान को रजत शेषनाग का मुकुट, रजत त्रिशूल, रजत मुंडमाला, रुद्राक्ष की माला, और सुगंधित पुष्पों की मालाएं अर्पित की गईं। अंत में भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट और विविध पकवानों से तैयार 56 भोग भगवान को अर्पित किए गए।
शाम को निकलेगी बाबा महाकाल की शाही सवारी
आज शाम 4 बजे उज्जैन में बाबा महाकाल की द्वितीय शाही सवारी नगर भ्रमण के लिए निकलेगी। इस धार्मिक यात्रा में भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में नगरवासियों के दर्शन हेतु निकलेंगे। रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। यह यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए एक आध्यात्मिक वातावरण का सृजन करेगी।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में विशेष पूजा और श्रृंगार
खंडवा जिले में स्थित श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को अलसुबह 5 बजे मंगला आरती का आयोजन हुआ। इस दौरान भगवान ओंकार महाराज का फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। मंदिर प्रांगण को रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाया गया, जिससे वातावरण सुगंधित हो गया। बड़ी संख्या में भक्त नर्मदा स्नान कर पवित्र होकर भगवान के दर्शन और पूजन के लिए मंदिर पहुंचे।
श्रद्धालुओं की अपार भीड़ और भक्तिभाव का दृश्य
सावन के इस पावन सोमवार को मध्यप्रदेश के लगभग सभी प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर और भोपाल के बड़े शिवालयों में भक्ति भाव से पूजन, अभिषेक और विशेष आरती हुई। भक्तों ने पूरे विधि-विधान से शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और चंदन अर्पित कर पूजा संपन्न की। पूरा प्रदेश शिवमय हो उठा और ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से गूंजने लगा।