Badrinath Dham: भारत के उत्तराखंड में स्थित बदरीनाथ धाम, चार धामों में से एक है और इसकी धार्मिक महत्ता अत्यधिक है। हिमालय की गोद में बसे इस पवित्र स्थल को भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। हर वर्ष सर्दियों के आगमन पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और यह प्रक्रिया धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ पूरी होती है। आज यानी रविवार को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
कपाट बंद होने से जुड़ी परंपराएं
कपाट बंद होने से पहले मंदिर को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। फूलों और रंगीन रोशनी से सजे मंदिर में विशेष पूजा और भव्य आयोजन किए जाते हैं। परंपरा के अनुसार, रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी स्त्री वेश धारण कर माता लक्ष्मी को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करते हैं। इसके बाद भगवान बदरीनाथ को घृत (घी से बना हुआ) कंबल ओढ़ाया जाता है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज रविवार 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकाल हेतु भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारणकर माता… pic.twitter.com/427rqKxLF9
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) November 17, 2024
इस दौरान एक दीपक जलाया जाता है, जो 6 महीने तक मंदिर के अंदर जलता रहता है। जब वसंत ऋतु में कपाट दोबारा खोले जाते हैं, तो यह दीपक जलता हुआ पाया जाता है। इसे दिव्यता और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
आज का कार्यक्रम
आज सुबह 4 बजे ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए खोले गए। दिनभर विशेष पूजा और अनुष्ठान हुए। शाम 6:45 बजे से सायंकालीन पूजा शुरू होगी।
- 7:45 बजे: रावल जी स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी मंदिर से माता लक्ष्मी को गर्भगृह में ले जाएंगे।
- 8:10 बजे: भगवान बदरी विशाल की विशेष आरती की जाएगी।
- 9:07 बजे: शुभ मुहूर्त में भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
धार्मिक महत्ता
बदरीनाथ धाम का विशेष स्थान चार धामों और बारह ज्योतिर्लिंगों में है। यहां भगवान विष्णु की पूजा होती है और यह स्थान हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरीनाथ लक्ष्मी माता के साथ गर्भगृह में विश्राम करते हैं।
यह भी कहा जाता है कि जब कपाट खुलते हैं, तो दीपक की ज्योत अपने आप जलती रहती है। यह घटना श्रद्धालुओं के लिए दिव्य चमत्कार और आस्था का प्रमुख केंद्र है।
यात्रियों की संख्या
इस वर्ष बदरीनाथ धाम में अब तक 14 लाख 20 हजार श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर चुके हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही बंद हो चुके हैं। अब बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा समाप्त हो जाएगी।