12 लाख के इनामी नक्सली कबीर ने किया सरेंडर, पुलिस ने क्यों जारी किया हाई अलर्ट?

बालाघाट: मध्य प्रदेश पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी कामयाबी मिली है। तीन राज्यों में वांछित और 12 लाख रुपये के इनामी नक्सली कबीर उर्फ कबिरदास ने शनिवार को बालाघाट में पुलिस अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। हालांकि, इस सफलता के बाद भी पुलिस महकमा जश्न मनाने के बजाय हाई अलर्ट पर है, क्योंकि उन्हें नक्सलियों की जवाबी कार्रवाई का अंदेशा है।

28 वर्षीय कबीर छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का रहने वाला है और साल 2015 से नक्सली संगठन में सक्रिय था। वह मलाजखंड एरिया कमेटी और प्लाटून नंबर 56 का एक महत्वपूर्ण सदस्य था। उसके आत्मसमर्पण को इस क्षेत्र में नक्सली आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

क्यों हुआ आत्मसमर्पण?

पुलिस के अनुसार, कबीर ने सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। उसने बताया कि वह नक्सली विचारधारा के खोखलेपन और जंगल के कठिन जीवन से तंग आ चुका था। आत्मसमर्पण के समय उसने एक .315 बोर की राइफल और 10 जिंदा कारतूस भी पुलिस को सौंपे। कबीर पर मध्य प्रदेश सरकार ने 3 लाख, छत्तीसगढ़ ने 5 लाख और महाराष्ट्र ने 4 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।

सफलता के बाद भी हाई अलर्ट क्यों?

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों की यह एक पुरानी रणनीति रही है कि जब भी उनका कोई साथी आत्मसमर्पण करता है, तो वे अपनी मौजूदगी और दहशत बनाए रखने के लिए किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं।

अतीत में भी ऐसा देखा गया है। जब मंगेश और नंदे जैसे नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, उसके कुछ ही समय बाद नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले किए थे। इसी आशंका को देखते हुए पुलिस कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस सरेंडर को एक संभावित साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसलिए बालाघाट, मंडला और डिंडोरी के सीमावर्ती जंगलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। इन इलाकों में एक सघन तलाशी और गश्त अभियान चलाया जा रहा है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस का मानना है कि यह आत्मसमर्पण भले ही एक जीत है, लेकिन सतर्क रहना बेहद जरूरी है।