देवेंद्र बंसल
सामाजिक विचारक
एवं कवि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के चुनाव लड़ने से यह देश का मुख्य केंद्र बन गया है। वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर है। हिन्दुओं के तीर्थ स्थलों में से एक है। ये काशी विश्वनाथ जी का घर है इस शहर के जितने रंग उतने नाम। यहाँ का काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं।
PM Narendra Modi बोलते हैं मुझे मां गंगा ने यहां बुलाया है
यहाँ के लोग बोलते है ‘हमार काशी हमार मोदी। मोदी जी ( PM Narendra Modi ) कहते हैं बनारस से मेरा जो नाता रहा है, उसने मुझे पूरा बनारसी बना दिया है! मुझे मां गंगा ने यहां बुलाया है. मां गंगा ने मुझे गोद लिया है। एक दशक में रेल, रोड और एयर, स्वच्छता, पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कई काम हुए।10 साल में काशी में सडक़ों का कार्य,रेलवे का आधुनिकीकरण के कार्य हुए। क्रूज बोट भी चल रही है ।विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी काशी का उल्लेख मिलता है। बनारस ,वाराणसी और काशी तीन नामों से जाना जाता है ।बनारस के बाबा विश्वनाथ के मंदिर का भव्य विशाल प्रांगण ,अलौकिक आकर्षक छठा देख मन ख़ुशियों से झूम उठता है । मंदिर के गर्भ ग्रह में विराजे भोलेनाथ के दर्शन व दूध से अभिषेक से सब धन्य होते है ।
इंदौर की होलकर वंश की माता अहिलयबाई की मूर्ति देख दिल प्रसन्न हो जाता है ।जो इंदौर की भी याद दिलाता है । दशाश्वमेघ घाट पर हर शाम आयोजित होने वाली गंगा आरती के लिए सबसे प्रसिद्ध है,हर दिन सैकड़ों लोग इसे देखने आते हैं। गंगा आरती देखना एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। यहाँ रात्रि में माँ गंगा की भव्य आरती बोट में बैठकर देखना व फिर अस्सी घाट तक नौका विहार कर अनेक़ो घाट के दर्शन जिसकी अपनी कहानी है । यहाँ देख लगता है ,सच में मेरा भारत बदल गया है।बनारस का अपना अलग रंग है ।
वाराणसी में गंगा नदी के किनारे में 88 घाट हैं। अधिकांश घाट स्नान और पूजा घाट हैं, जबकि दो घाटों का उपयोगग श्मशान स्थलों के रूप में किया जाता हैं। दशाश्वमेघ शताब्दियों से विख्यात है। मणिकर्णिका को मुक्ति क्षेत्र भी कहा जाता है। पंचगंगा में पाँच नदियों के धाराओं का मिलन है। यह भी कहा जाता है जो पंचगंगा में स्नान करता है वह पंच तत्वों में स्थित इस शरीर को पुन: धारण नही करता, मुक्त हो जाता है। दशाश्वमेध घाट,वह स्थान जहां भगवान ब्रह्मा ने दशा अश्वमेध यज्ञ किया था। यह घाट एक धार्मिक स्थल है कई अनुष्ठान किए जाते हैं। यहाँ भैरोनाथ का मंदिर है, उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। उनके दर्शन जरुर सभी करते है ।तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस रचना प्रारम्भ की थी जो दो वर्ष, सात महीने और छ्ब्बीस दिन में लिखी ,यही अस्सी घाट को वह स्थान माना जाता है जहां महान कवि तुलसीदास का निधन हुआ था।तुलसी घाट का विशेष महत्व है ।मणिकर्णिका एक प्रसिद्ध घाट है। मान्यता के अनुसार माता पार्वती जी का कर्ण फूल यहाँ एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूढने का काम भगवान शंकर जी द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया।संकट मोचन हनुमान जी का भव्य मंदिर है जहाँ श्रद्धालु दर्शन करने भी अवश्य जाते है । यहाँ शाम गंगा घाट पर गुजरती है तो सुबह गरमागरम कचौरी ,बनारस की चाट भी मिलती है ।यहाँ की खास मिठाई बनारसी मलइयो का स्वाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग बनारस आते हैं। वाराणसी प्रसिद्ध है बनारसी रेशम, बनारसी साड़ी सूट अनेको नई नई डिज़ाइन भी यहाँ मिल जाएगी ।
(ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)