नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल ने एडटेक कंपनी बायजूस के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की याचिका स्वीकार कर ली है। ये मामला भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के लिए बायजूस और बीसीसीआइ के बीच स्पांसरशिप समझौते से जुड़ा है। बीसीसीआई ने 158.9 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलने के लिए बायजूस की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पिछले साल याचिका दायर की थी। मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होनी है।
ट्रिब्यूनल ने कंपनी की मौजूदा मैनेजमेंट को भंग कर दिया है। इसके साथ ही इंटरिम रिज्योलूशन प्रोफेशनल के तौर पर पंकज श्रीवास्तव की नियुक्ती की है। इसके साथ ही उसने बायजूस को उधार देने वाली कंपनियों को जल्द कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स बनाने को भी कहा है। वहीं, दूसरी ओर दिवालिया कार्यवाही से खुद के बचाव के लिए कंपनी ने बीसीसीआई के साथ विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने के लिए गुहार लगाई है।
कर्ज देने वाली कंपनियों को मिलेगी जिम्मेदारी
एनसीएलटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है बायजूस को लोन देने वाली कंपनियों को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स में जोड़ने को कहा है। हालांकि, इसके बावजूद बायजूस की कमान पंकज श्रीवास्तव के हाथों में रहेगी। जल्द ही कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू होगी। इसके अंदर कंपनियों की संपत्ति का आकलन किया जाएगा। इन्हें बेचकर लोन देने वाली कंपनियों के पैसे चुकाए जाएंगे।
बीसीसीआई से क्या है विवाद?
बीसीसीआई ने पिछले वर्ष 8 सितंबर में बायजूस के खिलाफ दिवालिया प्रोसेस शुरू करने की अपील की थी। बीसीसीआई का कहना था कि बायजूस उसके 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान नहीं कर पाई है। इस अपील को स्वीकार करते हुए एनसीएलटी ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की है।