BCCI: 2011 में भारत की विश्व कप विजेता टीम के कोच गैरी कर्स्टन ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि बीसीसीआई के चयनकर्ताओं ने युवराज सिंह को विश्व कप टीम में शामिल करने को लेकर गहन चर्चा की थी और उनकी चयन की राह आसान नहीं थी। कर्स्टन के अनुसार, यह फैसला ‘बिल्कुल करीबी’ था, लेकिन कप्तान एमएस धोनी और उनकी मजबूत पैरवी ने युवराज को टीम में जगह दिलाई।
युवराज सिंह ने 2011 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन कर भारत को 28 साल बाद आईसीसी वनडे विश्व कप का खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई। पंजाब के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने टूर्नामेंट में आठ पारियों में 362 रन बनाए, जिसमें उनका औसत 90 से अधिक रहा। इसके अलावा, अपनी पार्ट-टाइम स्पिन गेंदबाजी से उन्होंने 15 विकेट भी हासिल किए, जिसमें उनकी इकॉनमी रेट पांच से थोड़ी अधिक थी। युवराज को उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया।
युवराज ने ग्रुप स्टेज में लगातार तीन अर्धशतक जड़े, क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जिताऊ पारी खेली और वेस्टइंडीज के खिलाफ एक शतक भी ठोका। यह सब उन्होंने तब किया, जब वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, जिसका निदान टूर्नामेंट के बाद हुआ।
कर्स्टन ने रेडिफ.कॉम को बताया, “शुक्र है कि हमने उन्हें चुना, क्योंकि यह फैसला बिल्कुल करीबी था। चयनकर्ताओं ने 15 खिलाड़ियों को लेकर काफी बहस की थी। मैं और धोनी उन्हें टीम में चाहते थे, क्योंकि उनके अनुभव से टीम को बहुत फायदा हुआ। और फिर, युवराज ने विश्व कप में जो प्रदर्शन किया, वह अविश्वसनीय था।”
कर्स्टन ने युवराज के साथ अपने रिश्ते और उनकी तैयारियों के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि टीम के स्ट्रेंथ और मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन ने युवराज के साथ मिलकर उनकी मानसिक और शारीरिक तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्स्टन ने कहा, “मुझे युवराज बहुत पसंद थे। कई बार वह मुझे परेशान कर देते थे, लेकिन मैं उन्हें बहुत चाहता था। जब वह बल्लेबाजी करते थे, तो उन्हें देखना शानदार होता था। लेकिन उनकी अपनी एक यात्रा थी, जिसमें पैडी ने उनकी बहुत मदद की। युवराज ने भी खुद को विश्व कप के लिए तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।”
युवराज सिंह का 2011 विश्व कप में प्रदर्शन न केवल उनके करियर का शिखर था, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए भी एक ऐतिहासिक पल बन गया। कर्स्टन और धोनी का उन पर भरोसा और उनकी मेहनत ने भारत को विश्व चैंपियन बनाने में अहम योगदान दिया।