सावधान! कैशबैक छुपाया तो मिल सकता है इनकम टैक्स नोटिस

आजकल डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग और बिल भुगतान के बाद कैशबैक पाना आम बात है। लोग इसे बचत या बोनस का आसान जरिया मानते हैं, लेकिन अब आयकर विभाग इस पर भी पैनी नजर रख रहा है। अगर आपको मोटी रकम का कैशबैक मिला और आपने इसे आयकर रिटर्न (ITR) में नहीं दर्शाया, तो आपको नोटिस मिल सकता है।

कब माना जाएगा कैशबैक टैक्स योग्य आय?

टैक्स नियमों के अनुसार, कैशबैक को “अन्य स्रोत से आय” (Income from Other Sources) की श्रेणी में रखा जा सकता है, खासकर तब जब यह रकम अधिक हो। उदाहरण के तौर पर अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट टिकट, लग्जरी होटल बुकिंग, महंगे मोबाइल या गैजेट्स पर मिलने वाला बड़ा कैशबैक टैक्स के दायरे में आ सकता है।

यदि कोई व्यक्ति सिर्फ कैशबैक पाने के लिए बार-बार भारी रकम के लेन-देन करता है, तो विभाग इसे भी आय मान सकता है। लगातार बड़ी राशि के कैशबैक आपके खाते में आना विभाग के लिए संदेह का कारण बन सकता है।

एक छोटी चूक भी बन सकती है नोटिस का कारण

2016 में एक निजी कंपनी में काम करने वाले रोहित सिंह को केवल ₹2,500 के डेबिट कार्ड कैशबैक पर आयकर विभाग से नोटिस मिला। उन्होंने इसे टैक्स योग्य आय नहीं मानकर ITR में नहीं दिखाया था। विभाग ने इसे “अन्य स्रोत से आय” मानते हुए कार्रवाई की। यह घटना बताती है कि छोटी-सी अनदेखी भी नोटिस का कारण बन सकती है।

टैक्स नोटिस से बचने के आसान उपाय

  • हर कैशबैक और कैश ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखें।
  • बड़ी राशि मिलने पर उसे ITR में जरूर शामिल करें।
  • समय पर आयकर रिटर्न भरें।
  • बार-बार बड़ी रकम कैश में जमा करने से बचें।

छोटे कैशबैक पर क्या है नियम?

50, 100 या 500 रुपए जैसे छोटे कैशबैक, जो सामान्य खरीदारी या डिजिटल पेमेंट पर मिलते हैं, आमतौर पर टैक्स के दायरे में नहीं आते। इन्हें प्रोत्साहन या छूट की तरह देखा जाता है।

लेकिन अगर कैशबैक की रकम बड़ी है और बार-बार मिल रही है, तो इसे आय का हिस्सा मानकर टैक्स लगाया जा सकता है। ऐसे मामलों में सावधानी रखना बेहद जरूरी है।