स्वतंत्र समय, बेंगलुरु
बेंगलुरु जो कभी गार्डन सिटी के नाम से जाना जाता था, आज बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। गर्मी के आने से पहले हीबेंगलुरु में जल संकट ( Bengaluru water crisis ) गहरा गया है। यह न केवल बेंगलुरु बल्कि पूरे देश के लिए एक चिंता का विषय है। यहां के कुछ इलाकों में हालात इतने खराब हो गए हैं कि स्कूल ही बंद कर दिए गए हैं। लोग घरों में ताला लगाकर बाहर चले गए हैं। कर्नाटक ऐसी स्थिति पर पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा ने कहा कि बेंगलुरु सहित पूरे राज्य में पानी का संकट है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की है, वहां पिछले पांच महीनों में कई सारे लोग अपने घरों को ताला लगाकर अपने गृहनगर चले गए हैं। पूर्व पीएम देवगौड़ा ने कहा-इस संबंध में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने गंभीर फैसला लिया है। उन्होंने अपने चुनावी घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि राज्य कर्नाटक में मेकेदातु जलाशय का निर्माण नहीं करने देगा। देवगौड़ा ने कहा-जबकि हम (जेडीएस) अपने घोषणापत्र में मेकेदातु जलाशय परियोजना का उल्लेख करेंगे और एक बार जीतने के बाद इस पर अमल करेंगे। मैंने भाजपा से इस पर विचार करने का अनुरोध किया। मैंने पीएम को पत्र लिखा है।
क्या है मेकेदातु जलाशय परियोजना? कर्नाटक सरकार बेंगलरुर की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए कावेरी नदी पर एक संतुलित जलाशय बनाने की योजना बना रही है, लेकिन तमिलनाडु यह कहते हुए इसका विरोध कर रहा है कि परियोजना से उसके हितों को नुकसान पहुंचेगा। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता पलानीस्वामी ने आरोप लगाया था कि द्रमुक अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ 2021 में सत्ता में आने के बाद से तमिलनाडु के हितों के खिलाफ काम कर रही है।
केंद्र से नहीं मिल रही धनराशि, खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि पानी की कमी से जूझ रहे राज्य को केंद्र सरकार से धन नहीं मिल रहा है। केंद्र से राष्ट्रीय आपदा कोष (एनडीआरएफ) जारी करवाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। सिद्धारमैया ने कहा-हमने राज्य को सूखा राहत निधि के वितरण में देरी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ ये याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सूखे की स्थिति पर मंत्रिस्तरीय टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपने के पांच महीने बाद भी केंद्र ने धनराशि जारी नहीं की है। उन्होंने कहा-राज्य गंभीर सूखे से जूझ रहा है। इससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। राज्य के 236 तालुकों में से 223 को सूखा घोषित किया जा चुका है। इनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित बताया गया है।
केंद्र से मांगी 18,171 करोड़ की सहायता
अधिवक्ता डीएल चिदानन्द के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि खरीफ 2023 सत्र में कृषि और बागवानी फसलों के नुकसान को मिलाकर 48 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में 35,162 करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान (खेती की लागत) हुआ है। एनडीआरएफ के तहत भारत सरकार से 18,171.44 करोड़ रुपए की सहायता मांगी गई है।