भाजपा के पदाधिकारी बोलते समय यह ध्यान ही नहीं रख रहे है कि उनकी बात के अर्थ का अनर्थ ना हो जाएं। पदाधिकारी जैसे ही मंच पर पहुंच जाते है तारिफो के ऐसे पुल बांधते है कि मर्यादा ही भूल जाते है।
ऐसा ही एक वाक्या इंदौऱ में भाजपा नगर अध्यक्ष ने कर दिखाया महापौर की तारिफ में ऐसे कसीदें गढ़े कि अपनी मर्यादा ही भूल गए। वह मंच से क्या कह गए इसका उन्हें ही भान नहीं रहा। यहां एक मंच से भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने कहा कि-
स्मार्ट सिटी के स्मार्ट महापौर, फिल्मों में जाते तो हिट हो जाते एक दम हीरो जैसे दिखते है। इन्हें दिन में चार से 6 बार भाभी वीडियों काल करती है। वह पूछती है कि कहां हो? किसके साथ हो? किस कार्यक्रम में हो? अपने को महापौर जी पर पूरा भरोसा है लेकिन क्या है कि महापौर जी, लोकप्रिय इतने है कि भाभी जी को कभी-कभी खुटका हो जाता है कि इधर-उधर भटक ना जाएं! क्योकि स्मार्ट आदमी है तो कोई इधर-उधर ना ले जाएं।
महापौर जो इंदौर शहर में नवाचार के माध्यम से लगातार विकास के नए किर्तिमान स्थापित करने वाले है। जहां तक मुझे जानकारी है महापौर जी को तीन-चार भाषाओं का ज्ञान है, और बड़े वकील भी रहे है। और अर्थशास्त्री कार्लमाक्स का एक सिद्धात है कि बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। राजनीति का भी ऐसा ही सिंद्धात है बुरे लोग राजनीति में बहुत आते है तो “अच्छे लोग राजनीति में आते नहीं” है लेकिन जब कोई पढ़ा लिखा,बड़ा वकील, दिखने में स्मार्ट, चार-पांच भाषाओं का जानकार, हो ऐसा महापौर जब शहर को मिलता है। तो राजनीति में भी सुचिता आती है और शहर में भी विकास होता है।