भैरव अष्टमी पर उज्जैन में आस्था का सैलाब, कालभैरव सहित प्रमुख मंदिरों में दिनभर चला पूजन-अभिषेक

Ujjain News : धर्मनगरी उज्जैन में बुधवार को अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भगवान भैरव का जन्मोत्सव (भैरव अष्टमी) बड़े ही हर्षोल्लास और भक्तिभाव के साथ मनाया गया। इस मौके पर शहर के प्रसिद्ध भैरव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और ‘जय भैरव’ के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
विश्व प्रसिद्ध बाबा कालभैरव मंदिर के साथ-साथ विक्रांत भैरव, आताल-पाताल भैरव, और महाकाल मंदिर के कोटितीर्थ कुंड पर स्थित भैरव महाराज के मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान हुए। भक्तों ने दर्शन और पूजन कर भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिरों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं और दर्शन का सिलसिला दिनभर चलता रहा।
कालभैरव मंदिर में विशेष श्रृंगार और पूजन
शहर के सबसे प्रमुख कालभैरव मंदिर में इस अवसर पर विशेष आयोजन हुए। सुबह बाबा कालभैरव का पंचामृत से अभिषेक किया गया और उनका आकर्षक श्रृंगार कर स्वर्ण मुकुट धारण कराया गया। दिनभर भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। मंदिर में भगवान को मदिरा का भोग लगाने की सदियों पुरानी परंपरा का भी निर्वहन किया गया। रात में बाबा की महाआरती और जन्मोत्सव का मुख्य आयोजन होगा।
महाकाल परिसर सहित अन्य मंदिरों में भी धूम
कालभैरव के अलावा, महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ कुंड के समीप भैरव महाराज, विक्रांत भैरव, आताल-पाताल भैरव, कुचेरा भैरव और बटुक भैरव मंदिरों में भी पूजा-अर्चना का दौर सुबह से ही शुरू हो गया था। इन मंदिरों को फूलों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया था।
मान्यता है कि भगवान भैरव, भगवान शिव के रौद्र स्वरूप हैं और उन्हें उज्जैन का नगर कोतवाल भी कहा जाता है। इसलिए, भैरव अष्टमी के दिन उनके दर्शन और पूजन का विशेष महत्व माना जाता है।
मंदिरों में दर्शन का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहेगा। रात में विशेष महाआरती और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों और बाहर से आए श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है।