स्वतंत्र समय, धार
बसंत पंचमी पर धार की भोजशाला (Bhojshala ) में सोमवार सुबह से ही वाग्देवी की पूजा-अर्चना का दौर चल रहा है। चार दिवसीय वसंत पंचमी समारोह के तहत यज्ञ किया जा रहा है। मंत्रोच्चार के बीच वेदी में आहुतियां दी जा रही हैं। भोजशाला सहित पूरे परिसर को भगवा पताकाओं से सजाया गया है।
Bhojshala में रही चाकचौबंद व्यवस्था
भोजशाला ( Bhojshala ) सहित 200 मीटर का एरिया पुलिस छावनी में तब्दील है। 70 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 9 राजपत्रित अधिकारी, 19 थाना प्रभारी सहित 700 से अधिक जवान सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। शहर के 34 चिह्नित स्थानों फिक्स पॉइंट बनाए गए हैं। 10 बाइकों पर पुलिस टीम नगर के भीतरी हिस्से जबकि चार मोबाइल पुलिस वाहन बाहरी हिस्से में लगातार गश्त कर रहे हैं। उज्जैन के सिंहपुरी स्थित सरस्वती माता मंदिर में स्याही-पेन चढ़ाए गए। वहीं, दमोह के जागेश्वरनाथ धाम में धक्कामुक्की की वजह से 5 महिलाओं को चोट आई है।
शोभायात्रा में रथ पर सवार वाग्देवी के किये दर्शन
महाराजा भोज स्मृति वसंतोत्सव सरस्वती पूजन के साथ सुबह 7 बजे से यज्ञ शुरू हुआ। उदाजीराव चौराहा घोड़ा चौपाटी से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें विशेष रथ पर विराजमान मां वाग्देवी के तैलचित्र के दर्शन हुए। वाग्देवी की शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी। यात्रा मार्ग की 20 हाइराइज बिल्डिंग्स पर पुलिस जवान तैनात रहे। इसके बाद धर्मसभा होगी, जिसमें मुख्य अतिथि उत्तम स्वामीजी महाराज हैं। शाम 5. 50 बजे यज्ञ की पूर्णाहुति और आरती होगी। चौधरी ने बताया कि भोजशाला के मुख्य द्वार से लेकर परिक्रमा मार्ग तक बैरिकेड्स लगाए गए हैं। इनसे होकर श्रद्धालु मां सरस्वती के दर्शन कर रहे हैं। ज्योति मंदिर के सामने निशुल्क भोजन का स्टॉल है। जहां शाम तक भोजन प्रसादी के रूप में सब्जी, पूरी, आलूबड़ा और कचौरी बांटी जा रही है।
उज्जैन के सिंहपुरी में माता को स्याही-पेन का चढ़ावा
उज्जैन के सिंहपुरी स्थित सरस्वती माता मंदिर में स्टूडेंट्स पेन, स्याही और किताब लेकर पहुंचे। मान्यता है कि वसंत पंचमी पर मंदिर में पूजन कर स्याही, पेन चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां वसंत पंचमी पर स्टूडेंट्स मां सरस्वती की मूर्ति पर स्याही अर्पित करते हैं। इसके साथ ही पेन और पीले फूल भी चढ़ाए जाते हैं। वसंत पंचमी पर्व पर मां सरस्वती की मूर्ति पर इतनी स्याही चढ़ती है कि मंदिर का पूरा फर्श नीले रंग का हो जाता है। वहीं दमोह में जागेश्वरनाथ का जलाभिषेक करने उमड़े श्रद्धालु।