भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बवाल, RSS जैसे पुतले पर 3 एक्टिविस्टों के खिलाफ FIR

Bhopal News : दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदियों में से एक, भोपाल गैस कांड की 41वीं बरसी पर आयोजित एक जुलूस में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब उसमें शामिल एक पुतले को RSS स्वयंसेवक जैसा बताया गया।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विरोध के बाद पुलिस ने जुलूस को बीच में ही रोक दिया और आयोजक संगठनों से जुड़े तीन कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज कर ली।

यह जुलूस गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले 4 गैर-सरकारी संगठनों द्वारा निकाला जा रहा था। इसका मकसद यूनियन कार्बाइड की मौजूदा मालिक कंपनी डाउ केमिकल के खिलाफ प्रदर्शन करना था।

पुतले पर कैसे शुरू हुआ विवाद?

यह जुलूस भोपाल के भारत टॉकीज से शुरू होकर जेपी नगर स्थित बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री तक जाना था, जहां प्रदर्शनकारी पुतले जलाने वाले थे। इसी दौरान बीजेपी समर्थकों ने आरोप लगाया कि डाउ केमिकल के पुतले के साथ-साथ RSS का पुतला भी जलाया जाना था।

बीजेपी मंडल अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की। ठाकुर ने आरोप लगाया कि यह कृत्य भावनाओं को आहत करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास था।

“उनके इस कृत्य से हमारी भावनाएं आहत हुई हैं और यह क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द एवं शांति भंग करने का प्रयास प्रतीत होता है।” — आशीष सिंह ठाकुर, बीजेपी मंडल अध्यक्ष

पुलिस ने की कार्रवाई, 3 पर केस दर्ज

विवाद बढ़ता देख पुलिस मौके पर पहुंची। सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) राकेश सिंह बघेल ने बताया कि शिकायत की पुष्टि के बाद विवादास्पद पुतले को जब्त कर लिया गया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को यह आपत्तिजनक लग रहा था, इसलिए इसे जुलूस से हटा दिया गया।

पुलिस ने आयोजक रचना ढींगरा, सरिता गुप्ता और बालकृष्ण नामदेव के खिलाफ धार्मिक वैमनस्य और अशांति फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। ये तीनों कार्यकर्ता गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आयोजकों ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

वहीं, जुलूस का आयोजन करने वाले संगठनों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन (BGIA) की रचना ढींगरा ने कहा कि एक पुतला डाउ केमिकल का था और दूसरा अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति का। उन्होंने RSS का पुतला जलाने के दावे को पूरी तरह गलत बताया।

ढींगरा ने उल्टा आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम (PSUs) डाउ केमिकल के साथ व्यापार कर रहे हैं, जिससे भारत में कंपनी का कारोबार बढ़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि इंडियन ऑयल और गेल जैसी कंपनियां डाउ के कारखानों को कच्चा माल सप्लाई करती हैं।

41 साल पहले का वो काला दिन

बता दें कि 2-3 दिसंबर 1984 की आधी रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हादसे में 5,479 लोगों की मौत हुई थी, जबकि हजारों लोग हमेशा के लिए अपंग हो गए थे।