मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विकास को नई रफ्तार देने के लिए राज्य सरकार ने मेट्रोपॉलिटन रीजन (महानगर क्षेत्र) का खाका तैयार कर लिया है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य भोपाल और उसके आसपास के शहरों को जोड़कर एक विशाल आर्थिक और रिहायशी हब बनाना है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।
प्रस्तावित भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में केवल भोपाल शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के 6 जिलों के प्रमुख हिस्सों को शामिल किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल 12 नगरीय निकायों और 15 औद्योगिक क्षेत्रों को एक साथ लाने की तैयारी है। इसका सीधा असर इन क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर, परिवहन और रोजगार के अवसरों पर पड़ेगा।
इन जिलों और क्षेत्रों को किया जाएगा शामिल
विभाग द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, भोपाल के अलावा रायसेन, सीहोर, विदिशा, राजगढ़ और नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिलों के कुछ हिस्सों को इस रीजन में शामिल किया जाएगा। इसका मुख्य केंद्र भोपाल ही रहेगा, लेकिन कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए आसपास के सैटेलाइट टाउन्स को इसमें एकीकृत किया जाएगा।
विशेष रूप से मंडीदीप, जो कि एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, और सीहोर जैसे शहरों को इस मेट्रोपॉलिटन प्लान का अहम हिस्सा माना जा रहा है। इसके अलावा विश्व धरोहर स्थल सांची और ओबेदुल्लागंज जैसे क्षेत्रों को भी इस दायरे में लाया जाएगा। इससे पर्यटन और उद्योग दोनों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
औद्योगिक विकास पर विशेष फोकस
सरकार की मंशा है कि भोपाल के आसपास बिखरे हुए औद्योगिक क्षेत्रों को एक सिंगल प्लानिंग अथॉरिटी के तहत लाया जाए। नए प्लान में 15 औद्योगिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इनमें गोविंदपुरा, मंडीदीप, पीलूखेड़ी और अचारपुरा जैसे प्रमुख इंडस्ट्रियल एरिया शामिल हैं। एक एकीकृत मास्टर प्लान होने से यहां निवेश आकर्षित करने और लॉजिस्टिक्स को सुगम बनाने में मदद मिलेगी।
क्या होगा फायदा?
मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने से सबसे बड़ा फायदा पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी में होगा। भोपाल और आसपास के शहरों के बीच मेट्रो ट्रेन या रैपिड रेल जैसे प्रोजेक्ट्स की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा, पूरे क्षेत्र के लिए एक ही मास्टर प्लान लागू होने से अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगेगी और सुनियोजित शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का मानना है कि इससे भोपाल क्षेत्र की जीडीपी में भी बड़ा उछाल आएगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले इंदौर और उज्जैन को मिलाकर भी एक मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। अब भोपाल के लिए भी इसी तर्ज पर काम तेज कर दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इस ड्राफ्ट पर अभी और विचार-विमर्श किया जाएगा और संबंधित जिलों के प्रशासन से सुझाव लिए जाएंगे।