सौरभ शर्मा मामले में आया बड़ा परिवर्तन, परिवहन विभाग के इन अधिकारियों की बढ़ेगी मुश्किलें, CM मोहन यादव देंगे जांच के आदेश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय से करोड़ों रुपये की बरामदगी के बाद यह मामला प्रकाश में आया। अब सरकार परिवहन चौकियों और विभाग में अन्य मलाईदार पदों पर तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की गहन जांच कराने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री इस मामले की जांच नर्सिंग घोटाले की तर्ज पर कराने का विचार कर रहे हैं। यदि यह आदेश जारी होता है, तो एक विशेष टीम इन अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्तियों, लेनदेन, और कार्यशैली की पड़ताल करेगी। इस कदम से भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।

सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय से मिली करोड़ों रुपये की नकदी और 54 किलो सोने के अलावा, एक डायरी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। आयकर विभाग और अन्य जांच एजेंसियों को मिली इस डायरी में कई महत्वपूर्ण विवरण दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, इस डायरी में परिवहन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों, आरटीओ, और कुछ नेताओं के नाम शामिल हैं, जो इस भ्रष्टाचार के जाल में जुड़े हो सकते हैं। दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि यह घोटाला केवल सौरभ शर्मा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उच्च स्तर पर सांठगांठ की आशंका है।

इस डायरी में लेन-देन, ठेके, और मासिक वसूली से संबंधित जानकारियां दर्ज होने की बात कही जा रही है। जांच एजेंसियां अब इन सबूतों के आधार पर अन्य संबंधित अधिकारियों और नेताओं की भूमिका की जांच कर रही हैं। यह मामला सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस प्रकरण में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए जा सकते हैं।

सौरभ शर्मा के घर और कार्यालय से मिली डायरी ने परिवहन विभाग में चल रहे संगठित भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा किया है। डायरी में कुछ वरिष्ठ परिवहन अधिकारियों और नेताओं के नामों का उल्लेख होने की बात सामने आई है, जिससे यह साफ हो रहा है कि न केवल सौरभ शर्मा, बल्कि इस घोटाले में उच्च स्तर पर मिलीभगत थी।

मुख्य बिंदु

1. पदस्थापना में भ्रष्टाचार:
डायरी से यह संकेत मिलता है कि परिवहन नाकों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, खासकर मलाईदार पदों पर, पैसे के लेन-देन और राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर की जाती थी।
2. वसूली नेटवर्क:
नाकों पर होने वाली वसूली का हिस्सा कथित तौर पर ऊपर तक पहुंचता था। इसमें परिवहन विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता की बात सामने आई है।
3. सौरभ का उभार:
जांच एजेंसियां इस बात का पता लगा रही हैं कि सौरभ को इतने बड़े स्तर पर वसूली और भ्रष्टाचार का संचालन करने के लिए किसने समर्थन दिया। डायरी में दर्ज जानकारी से पता चलता है कि उसके उभार में कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिका रही है।
4. राजनीतिक गठजोड़:
डायरी में कुछ नेताओं के नाम भी दर्ज हैं, जो यह दर्शाता है कि इस घोटाले में राजनीतिक संरक्षण का भी योगदान हो सकता है।

जांच का दायरा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहले ही इस मामले में सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं। अब उम्मीद है कि जांच एजेंसियां डायरी में दर्ज नामों और लेन-देन की कड़ियों को जोड़कर गहराई से जांच करेंगी। यदि जांच सही दिशा में आगे बढ़ती है, तो यह मामला परिवहन विभाग और राजनीतिक तंत्र में बड़े फेरबदल का कारण बन सकता है।