मध्यप्रदेश में 10,000 शिक्षक पदों की भर्ती प्रक्रिया पर जबलपुर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में किए गए नियमों में बदलाव को लेकर दायर याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया है और सभी नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखने का निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, और सरकार से चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है।
नियमों में बदलाव पर आपत्ति
यह मामला तब सामने आया जब याचिकाकर्ता प्रदीप कुमार पांडे ने माध्यमिक शिक्षक संस्कृत विषय के पद के लिए पात्रता नियमों में अचानक किए गए बदलावों को चुनौती दी। पांडे ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने 2023 में आयोजित माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में सफलता प्राप्त की थी और सभी जरूरी योग्यताएं भी पूरी की थीं, लेकिन 2024 में सरकार ने नए परीक्षा मैनुअल के तहत पात्रता शर्तों में बदलाव कर दिया। इसके बाद वे और उनके जैसे अन्य उम्मीदवार अचानक अपात्र हो गए। पांडे का आरोप था कि इस तरह का बदलाव न केवल अनुचित है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है, जो समानता का अधिकार सुनिश्चित करता है।
कोर्ट का निर्णय: सभी नियुक्तियां याचिका के फैसले पर निर्भर
हाईकोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट आदेश दिया कि सभी नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखा जाएगा। इसके अलावा, सरकार, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, लोक शिक्षण संचालनालय और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
10,000 पदों पर नियुक्तियां
मध्यप्रदेश सरकार ने कुल 10,000 शिक्षक पदों पर भर्ती करने की योजना बनाई है, जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक दोनों स्तरों पर नियुक्तियां की जाएंगी। इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है, उन्हें अब नए पात्रता मानकों के आधार पर चयनित किया जाएगा, जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया है।