योगी शासन का बड़ा फैसला: गैर-विवादित मामलों में 45 दिन में होगा दाखिल-खारिज

योगी शासन : अब से जमीन के दाखिल-खारिज (नामांतरण) मामलों में देरी होने पर डीएम और कमिश्नर भी जिम्मेदार माने जाएंगे। शासन ने तय किया है कि यदि मामला गैर-विवादित है तो उसे 45 दिन में निपटाना होगा और यदि विवादित है तो 90 दिन में फैसला देना होगा। हाईकोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जताई है, इसके बाद प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद ने सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को जरूरी निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा इन नियमों का पालन करना अनिवार्य 

उन्होंने कहा कि राजस्व संहिता-2006 की धारा 34/35 के तहत इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। शासन ने यह भी पाया है कि कई जिलों में समय-सीमा का पालन नहीं हो रहा, जिससे लोग परेशान होकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं। इसलिए अब ऐसे सभी मामलों को आरसीसीएमएस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज कर निस्तारित किया जाएगा, ताकि मामलों का समय से समाधान हो सके और कोर्ट जाने की जरूरत न पड़े।

प्रार्थनापत्रों की देरी बर्दाश्त नहीं, शासन सख्त

अब जानबूझकर प्रार्थना पत्रों को लटकाने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी। दाखिल-खारिज के गैर विवादित मामलों को 45 दिनों के भीतर निपटाना जरूरी होगा। नामांतरण मामलों का समय और सही तरीके से निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश वाले मामलों की रोज़ सुनवाई होगी। मंडलायुक्त और जिलाधिकारी लंबित मामलों की सूची बनाकर हल निकालने की योजना बनाएंगे। तहसीलों में काम कर रहे अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे। अगर किसी अधिकारी ने इस आदेश को अनदेखा किया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव शासन और राजस्व परिषद को भेजा जाएगा।