मध्य प्रदेश की बहुचर्चित विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना एक बार फिर विवादों के घेरे में है। पहले ही फर्जी डिग्रियों के ज़रिये 47.98 लाख रुपये की स्कॉलरशिप हड़पने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके द्वारका प्रसाद नायक अब ज़मानत पर रिहा होने के बाद फिर उसी योजना में सक्रिय देखे जा रहे हैं।
इस बार उनके साथ दो और चर्चित चेहरे भी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं – इवान इंटरनेशनल का संचालक जितेन्द्र यादव उर्फ़ J.D. और चर्चित हनी ट्रैप मामले की श्वेता जैन व उनके पति अंकुश जैन।
पिछला मामला: फर्जी डिग्री से हड़पी थी लाखों की स्कॉलरशिप
सितंबर 2023 में अरेरा हिल्स थाने में दर्ज एफआईआर 313/2023 में द्वारका नायक पर आरोप लगा था कि उन्होंने फर्जी M.A. (समाजशास्त्र) की डिग्री बनवाकर सरकार से विदेश पढ़ाई के नाम पर ₹47,98,887 की स्कॉलरशिप हासिल की। जांच में दस्तावेज जाली पाए गए, और उन्हें तत्काल हिरासत में लिया गया। द्वारका प्राद नायक लगभग 45 दिन सेंट्रल जेल भोपाल रहे
बाद में नायक ने कोर्ट में दावा किया कि उनका चयन M.Phil डिग्री के आधार पर हुआ था, जिस पर अदालत ने उन्हें ₹50,000 के मुचलके पर ज़मानत दे दी। जबकि योजना के नियमानुसार उन्हें M.phil के पहले 60 % से MA चाहिए था जो उनके पास नहीं था
अब नया खुलासा: फिर कर रहे घोटाले, नए चेहरे भी शामिल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, द्वारका नायक, जमानत पर बाहर आने के बाद भी पिछड़ा वर्ग विदेश अध्ययन योजना में घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। इस बार उनका नेटवर्क और भी मज़बूत और खतरनाक बताया जा रहा है:
🔹 जितेन्द्र यादव उर्फ़ JD, जो इवान इंटरनेशनल के नाम से विदेश भेजने का फर्जीवाड़ा कर चुका है, नायक का सक्रिय साथी है। एजेंसी की जांच में सामने आया है कि JD ऐसे दर्जनों छात्रों को फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिये स्कॉलरशिप दिलाने में ‘दलाल’ की भूमिका निभा रहा है।
🔹 श्वेता जैन, जो पहले ही मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप कांड में आरोपी हैं, अब अपने पति अंकुश जैन के साथ मिलकर इस पूरे नेटवर्क को लॉजिस्टिक और डॉक्युमेंटेशन सपोर्ट दे रही हैं। इंदौर में इनका नेटवर्क एजेंट्स और सरकारी बाबुओं तक फैला हुआ बताया जा रहा है।
कैसे हो रहा फर्जीवाड़ा?
- फर्जी एडमिशन लेटर और फर्जी डिग्री बनवाकर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन।
- विश्वविद्यालयों के नकली दस्तावेज जमा करना
- छात्रों को ब्लैकमेल करना ।
- योजनाओं की नियम पुस्तिका के loopholes का फायदा उठाकर प्रशासन को भ्रमित करना। तथा सिर्फ अपात्रो को योजना में आवेदित कराना
सरकारी तंत्र की विफलता और मिलीभगत?
प्रशासन की लापरवाही से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि योग्य और ईमानदार छात्रों का भविष्य भी संकट में पड़ रहा है। इस नेटवर्क की पकड़ शिक्षा विभाग से लेकर दलालों, एजेंट्स और फर्जी कंसल्टेंट्स तक फैली हुई है।
जांच की मांग तेज, कोर्ट में अगली सुनवाई 5 मई 2025 में
यह मामला न केवल छात्रवृत्ति योजनाओं की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि सरकार की पारदर्शिता पर भी एक गहरी चोट करता है। भोपाल जिला सत्र न्यायालय में अगली सुनवाई अप्रैल 2025 में होनी है, जिसमें अब नायक के नए कृत्यों पर भी ध्यान दिया जा सकता है।
जनता को चेतावनी और अपील
सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों की उच्च स्तरीय जांच CBI या EOW से कराए और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। आम जनता, खासकर छात्र वर्ग को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या संस्था की सूचना तुरंत प्रशासन को देनी चाहिए।
यह सिर्फ घोटाला नहीं, बल्कि देश के होनहार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। अब वक्त है कि ऐसे ‘शिक्षा माफिया’ के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए।