केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) में पंजीकरण कराने वाले सब्जी-फल और अन्य खाद्य सामग्री बेचने वालों को महत्वपूर्ण राहत दी है। अब ये विक्रेता बिना किसी शुल्क के पांच साल के लिए पंजीकरण करा सकेंगे।
इस कदम का उद्देश्य छोटे और मध्यम व्यवसायों को समर्थन प्रदान करना है, जिससे वे अपने व्यवसाय को वैधता देने और खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करने में सक्षम हो सकें। यह पहल खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने में मदद करेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले के तहत, अब सब्जी-फल और अन्य खाद्य सामग्री बेचने वालों को पंजीकरण के लिए सौ रुपये के निर्धारित शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा, जिससे वे 500 रुपये की बचत कर सकेंगे।
इसके अलावा, पंजीकरण न कराने के कारण लगने वाले अर्थदंड और अन्य कानूनी कार्रवाई से भी उन्हें राहत मिलेगी। पहले, बिना पंजीकरण के होने पर एडीएम द्वारा 5,000 से 20,000 रुपये तक का अर्थदंड लगाया जाता था। इस पहल से छोटे विक्रेताओं को अपने व्यवसाय को वैधता देने में सहायता मिलेगी, जिससे वे कानूनी परेशानियों से बचकर अधिक सुरक्षित और सशक्त रूप से व्यापार कर सकेंगे।
आर्थिक स्थिति के कारण वेंडर पंजीकरण से बचने वाले विक्रेताओं को राहत प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने यह नई सुविधा शुरू की है। एफएसएसएआई ने 30 सितंबर को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे विक्रेता अब एमपी ऑनलाइन या स्वयं के माध्यम से अपना पंजीकरण कर सकेंगे।
पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान विक्रेताओं को निम्नलिखित जानकारी प्रदान करनी होगी:
1. फोटो
2. आधार कार्ड
3. किस प्रकार की खाद्य सामग्री का व्यापार करते हैं, यह जानकारी भी देनी होगी।
इस पहल से विक्रेताओं को खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए अपने व्यवसाय को वैधता देने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल उनके व्यापार में वृद्धि होगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी सुरक्षित और मानकीकृत खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक मयंक अग्रवाल ने एफएसएसएआई की पहल की सराहना की है, जो फेरी वालों के लिए निशुल्क पंजीकरण की सुविधा प्रदान कर रही है। इस कदम से उन हाकर्स को लाभ मिलेगा जिन्होंने अब तक पंजीकरण नहीं कराया है।
मध्य प्रदेश स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रत्नेश उपाध्याय के अनुसार, प्रदेश में लगभग 38 लाख खाद्य पदार्थ बेचने वाले हाकर्स हैं, जिनमें से 16 से 18 लाख* फेरी वाले शामिल हैं। यह कदम न केवल वेंडरों को वैधता देने में मदद करेगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा, जिससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और मानकीकृत खाद्य उत्पाद मिल सकेंगे।
फेरी वालों को मिलने वाले लाभ:
1. अर्थदंड से राहत: बिना लाइसेंस पकड़े जाने पर जो 5,000 से 20,000 रुपये तक का अर्थदंड लगता था, उससे अब वे बच सकेंगे। निशुल्क पंजीकरण से वे कानूनी परेशानी से मुक्त हो जाएंगे।
2. पंजीयन की शर्तों की जानकारी: पंजीकरण के तहत उन्हें यह स्पष्ट होगा कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं, जिससे वे अपने व्यवसाय को सही तरीके से चला सकेंगे।
3. प्रशिक्षण का अवसर: खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पास उनका ब्योरा होने से उन्हें समय-समय पर विभाग या एनजीओ के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा सकेगा, जिससे उनकी कौशल और सेवाओं में सुधार होगा।
इस पहल से फेरी वालों को न केवल कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए आवश्यक जानकारी और प्रशिक्षण भी प्राप्त होगा।
सरकार को मिलने वाले लाभ:
1. ब्योरा उपलब्धता: पंजीकरण होने से फेरी लगाकर खाद्य पदार्थ बेचने वालों का ब्योरा सरकार के पास रहेगा, जिससे उनकी संख्या और गतिविधियों का सही आकलन हो सकेगा।
2. शपथ पत्र का पालन: पंजीकरण के साथ फेरीवालों को एक शपथ पत्र देना होता है, जिसमें वे यह वादा करते हैं कि वे शर्तों का पालन करेंगे। इससे वे नियमों के प्रति बंधे रहेंगे।
3. संपर्क जानकारी: पंजीकरण में फेरीवालों का पता और मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा, जिससे संपर्क स्थापित करना आसान हो जाएगा।
4. शिकायतों का समाधान: यदि फेरी वालों के खिलाफ कोई शिकायत आती है, तो उन्हें नोटिस भेजना आसान हो जाएगा, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव होगी।
5. स्वच्छता सुनिश्चित करना: खाद्य पदार्थ बनाने और बेचने में स्वच्छता के मापदंडों का पालन कराना भी आसान होगा, जिससे उपभोक्ता स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
6. सूचनाओं का प्रसारण: आवश्यकतानुसार सरकार उन्हें मोबाइल पर एक साथ मैसेज भेजकर महत्वपूर्ण जानकारी या निर्देश दे सकेगी, जिससे उन्हें अद्यतन जानकारी मिलती रहेगी।
इस प्रकार, फेरीवालों के पंजीकरण से न केवल उन्हें बल्कि सरकार को भी कई फायदे होंगे, जिससे खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।