बिहार चुनाव 2025: NDA को 192 सीटों पर प्रचंड बढ़त, नीतीश के नेतृत्व और चिराग के समर्थन ने दिलाई ऐतिहासिक जीत

Bihar News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एकतरफा और ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है। अब तक के रुझानों के अनुसार, एनडीए 243 सीटों वाली विधानसभा में 192 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि विपक्षी महागठबंधन महज 46 सीटों पर सिमटता दिख रहा है। यह जनादेश केवल विपक्ष की कमजोरियों का परिणाम नहीं, बल्कि एनडीए की एक सोची-समझी रणनीति, मजबूत नेतृत्व और प्रभावी जमीनी योजनाओं का नतीजा है।
इस शानदार प्रदर्शन के पीछे कई मजबूत स्तंभ रहे हैं, जिन्होंने एनडीए की जीत की नींव रखी। इनमें नीतीश कुमार का निर्विवाद चेहरा और चिराग पासवान का रणनीतिक समर्थन सबसे अहम साबित हुआ।
नीतीश कुमार का ‘सुशासन बाबू’ वाला चेहरा
एनडीए की इस प्रचंड जीत के सबसे बड़े सूत्रधार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साबित हुए हैं। 74 वर्षीय नीतीश, जो बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं, ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ और सामाजिक समीकरणों से गठबंधन को एक ठोस आधार दिया। उनकी ‘सुशासन बाबू’ की छवि आज भी कायम है, जो 2005 के बाद बिहार को ‘जंगल राज’ से बाहर निकालने का प्रतीक बनी।
नीतीश कुमार अपनी जाति (कुर्मी, 3.5%) से ऊपर उठकर बिहार के सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हैं। उन्होंने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए एकजुट रखा, वहीं सवर्ण जातियों में भी उनकी स्वीकार्यता बनी रही। यहां तक कि कई मुसलमानों ने भी उन्हें अपना दुश्मन न मानते हुए वोट दिया। उम्र और स्वास्थ्य को लेकर उठे सवालों के बावजूद उन्होंने अपने खिलाफ बने सभी नैरेटिव को खारिज कर दिया।
चिराग पासवान बने ‘गेम चेंजर’
इस चुनाव में चिराग पासवान एनडीए के लिए ‘गेम चेंजर’ बनकर उभरे। उनके समर्थन ने बीजेपी और जेडीयू, दोनों के प्रदर्शन को शिखर पर पहुंचा दिया। 43 वर्षीय चिराग ने अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पासवान वोट बैंक (5-6%) को एनडीए के पक्ष में एकजुट किया।
चिराग के महत्व को समझने के लिए 2020 के चुनाव को देखना जरूरी है, जब उनके अलग लड़ने से जेडीयू को करीब 40 सीटों और बीजेपी को भी कई सीटों पर नुकसान हुआ था। लेकिन 2025 में ‘भाई चिराग’ के रूप में उनकी वापसी ने एनडीए को नई ऊर्जा दी। उन्होंने 100 से अधिक रैलियां कीं और अपने वोट को सफलतापूर्वक जेडीयू-बीजेपी उम्मीदवारों को ट्रांसफर कराया, जो नतीजों में साफ दिख रहा है।
विकास और लाभार्थी योजनाएं
एनडीए की जीत का एक और मजबूत स्तंभ ‘सुशासन और विकास’ का मॉडल रहा। पिछले दो दशकों में बिहार की छवि ‘बीमारू’ राज्य से बदलकर एक विकासशील राज्य की बनी है। प्रदेश में 1 लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कों का निर्माण, 95% गांवों तक बिजली की पहुंच और कानून-व्यवस्था में सुधार (अपराध दर में 50% गिरावट) ने शहरी और ग्रामीण, दोनों मतदाताओं को आकर्षित किया।
इसके अलावा, जमीनी लाभार्थी योजनाओं ने जीत में बड़ी भूमिका निभाई। नीतीश सरकार की ‘सात निश्चय’ और केंद्र की ‘पीएम आवास’, ‘उज्ज्वला’ और ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजनाओं ने करीब 5 करोड़ लाभार्थियों का एक मजबूत वोट बैंक तैयार किया। इन योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के हर जाति और वर्ग तक पहुंचा, खासकर ईबीसी और दलितों को। जीविका दीदी कार्यक्रम से जुड़ीं 1.2 करोड़ महिलाओं का समर्थन भी एनडीए के पक्ष में गया।