पटना: विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और ‘इंडिया’ गठबंधन, दोनों ही खेमों ने अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम करना तेज कर दिया है। हालिया लोकसभा नतीजों ने दोनों गठबंधनों को भविष्य की राजनीति के लिए नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है।
एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए बिहार में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है, तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी और ‘इंडिया’ गठबंधन सत्ता में वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। राजनीतिक बयानबाजी और बैठकों का दौर शुरू हो चुका है, जो आने वाले दिनों में और तेज होने की उम्मीद है।
लोकसभा नतीजों ने बदला सियासी समीकरण
बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए ने 30 सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें बीजेपी और जेडीयू दोनों को 12-12 सीटें मिलीं। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) ने 5 और जीतन राम मांझी की ‘हम’ ने 1 सीट जीती। दूसरी ओर, ‘इंडिया’ गठबंधन को 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जिसमें आरजेडी को 4, कांग्रेस को 3 और सीपीआई (एमएल) को 2 सीटें मिलीं।
इन नतीजों ने नीतीश कुमार को एक बार फिर बिहार और केंद्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है। वहीं, ‘इंडिया’ गठबंधन अपनी सीटों में हुए इजाफे और बढ़े हुए वोट शेयर से उत्साहित है और इसे 2025 के लिए एक सकारात्मक संकेत मान रहा है।
तेजस्वी यादव का ‘मिशन 2025’
विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से उत्साहित तेजस्वी यादव ने ‘मिशन 2025’ की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने हाल ही में पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों और विधायकों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने नेताओं को जनता के बीच रहने और उनकी समस्याओं को उठाने का निर्देश दिया।
तेजस्वी यादव ने ‘धन्यवाद यात्रा’ निकालने का भी ऐलान किया है, जिसके जरिए वह मतदाताओं का आभार जताएंगे और सरकार की कथित विफलताओं को उजागर करेंगे। तेजस्वी लगातार दावा कर रहे हैं कि बिहार में ‘खेला’ अभी बाकी है और एनडीए सरकार कभी भी गिर सकती है। उनका मुख्य फोकस बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर है।
NDA की रणनीति और आंतरिक चुनौतियां
एनडीए खेमे में भी 2025 की तैयारियों को लेकर मंथन जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘डबल इंजन’ की सरकार के फायदे गिनाए जा रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू के नेता एकजुटता का संदेश दे रहे हैं, लेकिन गठबंधन के भीतर कुछ चुनौतियां भी हैं।
जेडीयू ने केंद्र सरकार के समक्ष बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने और ‘अग्निवीर’ योजना की समीक्षा करने जैसी मांगें रखी हैं। ये मुद्दे एनडीए के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकते हैं। हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लगातार यह भरोसा दिला रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2025 का चुनाव लड़ा जाएगा और गठबंधन पूरी तरह से एकजुट है।
2025 के संभावित चुनावी मुद्दे
आगामी विधानसभा चुनाव में कई मुद्दे हावी रहने की संभावना है। इनमें प्रमुख हैं:
- रोजगार: तेजस्वी यादव ने 10 लाख सरकारी नौकरियों के अपने वादे को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था, और यह 2025 में भी केंद्रीय मुद्दा रहेगा।
- विशेष राज्य का दर्जा: जेडीयू इस मांग को जोर-शोर से उठाकर भावनात्मक बढ़त लेने की कोशिश करेगी।
- कानून-व्यवस्था: विपक्ष अक्सर सरकार को कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर घेरने की कोशिश करता है।
- जातिगत समीकरण: बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से निर्णायक रहे हैं। दोनों गठबंधन इसे साधने में जुटे हैं।
कुल मिलाकर, बिहार का सियासी पारा चढ़ने लगा है। लोकसभा चुनाव सिर्फ एक पड़ाव था, असली मंजिल 2025 का विधानसभा चुनाव है। आने वाले महीने यह तय करेंगे कि बिहार की जनता एक बार फिर नीतीश कुमार के अनुभव पर भरोसा जताती है या तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व को मौका देती है।