Bihar News : राजनीति में घर का झगड़ा हमेशा महंगा पड़ता है और इसका ताजा उदाहरण बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव के प्रदर्शन से मिलता है। एक समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव को भी पारिवारिक कलह की कीमत सत्ता गंवाकर चुकानी पड़ी थी। अब बिहार में तेजस्वी यादव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जहां बड़े भाई तेज प्रताप यादव के साथ उनका टकराव पार्टी और परिवार दोनों पर भारी पड़ गया।
लालू-राबड़ी के गढ़ माने जाने वाले राघोपुर में तेजस्वी यादव का कमजोर प्रदर्शन यादव परिवार के लिए एक बड़ी फजीहत बनकर सामने आया है। यह नतीजा लालू यादव के करिश्मे पर भी सवाल उठाता है, जिनका इकलौता रोड शो भी बेअसर साबित हुआ। तेजस्वी के लिए यह चुनाव एक बड़ा अवसर था, लेकिन पारिवारिक खींचतान ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए।
राघोपुर में ‘खेला’ कर गए तेज प्रताप
तेज प्रताप यादव के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं था। न परिवार का पूरा साथ, न पिता की विरासत और न ही पार्टी का सिंबल। शायद यही वजह रही कि तेजस्वी यादव ने उन्हें हल्के में ले लिया, लेकिन नतीजों ने साबित कर दिया कि तेज प्रताप अपने छोटे भाई पर बहुत भारी पड़े हैं।
भले ही तेज प्रताप महुआ सीट से खुद चुनाव हार गए, लेकिन उन्होंने तेजस्वी की राह में कांटे बिछा दिए। राघोपुर में तेजस्वी को एकतरफा जीत की उम्मीद थी, लेकिन वहां हुआ कड़ा मुकाबला बताता है कि अंदरूनी कलह ने RJD के वोट बैंक में सेंध लगा दी। इस एक झटके ने तेजस्वी की राजनीतिक पकड़ को कमजोर कर दिया है, जिसकी भरपाई फिलहाल मुश्किल नजर आ रही है।
लालू का ‘फैमिली जस्टिस’ और उलझन भरे संकेत
चुनाव से पहले जब तेज प्रताप यादव की कुछ निजी तस्वीरें लीक हुईं, तो लालू यादव ने उन पर सख्त कार्रवाई की। उन्हें न केवल राजनीतिक विरासत से, बल्कि पार्टी और परिवार से भी बेदखल करने का संदेश दिया गया। इस कदम को नैतिकता से जोड़ने की कोशिश हुई, लेकिन यह सवाल भी उठा कि क्या 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे तेजस्वी के लिए भी लालू ऐसा ही फैसला लेते?
उस वक्त तेजस्वी बिहार के डिप्टी सीएम थे और नीतीश कुमार उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। लेकिन लालू यादव ने बात नहीं मानी, जिसके चलते सरकार गिर गई। अब तेज प्रताप के मामले में दिखाई गई सख्ती को बिहार की जनता ने शायद स्वीकार नहीं किया, जैसा कि चुनावी नतीजों से जाहिर होता है।
परिवार में भ्रम, वोटरों में उलझन
क्या तेज प्रताप सच में परिवार और पार्टी से पूरी तरह बेदखल थे? लालू और तेजस्वी के बयानों से तो ऐसा ही लगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और थी। RJD के कई नेता और परिवार के सदस्य भी तेज प्रताप के प्रति सहानुभूति रखते थे और उनसे संपर्क में थे।
चुनाव प्रचार के दौरान मां राबड़ी देवी और बहन मीसा भारती ने खुलकर तेज प्रताप को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कैमरे पर कहा कि खून का रिश्ता मन से नहीं निकाला जा सकता। इन बयानों ने यह भ्रम पैदा किया कि तेज प्रताप पर हुई कार्रवाई सिर्फ चुनावी दिखावा है और चुनाव बाद सब ठीक हो जाएगा। इस उलझन ने RJD के समर्थकों को भी बांटा, जिसका सीधा नुकसान तेजस्वी यादव को राघोपुर में उठाना पड़ा।