बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ है। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। कल वह राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे और दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
यह पूरा घटनाक्रम काफी तेजी से हुआ। सुबह नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर अपना इस्तीफा सौंपा और 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार का अंत कर दिया। इसके तुरंत बाद, एनडीए के घटक दलों ने उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा की।
एनडीए विधायक दल की बैठक में फैसला
नई सरकार के गठन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री आवास, पर सुबह 10 बजे एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना जाएगा। बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े और सह-प्रभारी विनोद सोनकर समेत भाजपा के सभी विधायक और विधान पार्षद मौजूद हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ के विधायक भी इस बैठक में शामिल हुए।
बैठक के बाद नीतीश कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ राजभवन जाएंगे और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
ऐसा हो सकता है नया मंत्रिमंडल
नई एनडीए सरकार में भाजपा की भूमिका अहम होगी। खबरों के अनुसार, भाजपा कोटे से दो उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। इसके लिए सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा का नाम सबसे आगे चल रहा है। सम्राट चौधरी वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, जबकि विजय सिन्हा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। इसके अलावा, JDU और BJP के कई अन्य विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी।
इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने कहा,
“महागठबंधन में चीजें ठीक नहीं चल रही थीं। हमने INDIA गठबंधन बनाने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन वहां भी कोई काम नहीं हो रहा था। इसलिए हमने अलग होने का फैसला किया।”
इस राजनीतिक बदलाव के साथ ही बिहार में एक बार फिर JDU-BJP गठबंधन की सरकार सत्ता में लौट आई है। यह कदम आगामी लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नीतीश कुमार का एनडीए में वापस आना विपक्ष के ‘INDIA’ गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका है।