Bilawali Talab के पास तन रही गलत कॉलोनी

स्वतंत्र समय, इंदौर

बिलावली तालाब ( Bilawali Talab ) के बैक वाटर वाले हिस्से में अवैध कॉलोनी निर्माण को लेकर लगातार शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अवैध कॉलोनी के खिलाफ कॉलोनाइजरों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा और यदि नहीं की जाती है तो कलेक्टर और नियगमायुक्त को भी जेल भेजने की बात कही है, लेकिन बिलावली तालाब को खा रहे भूमाफियाओं पर प्रशासन और नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। मामला श्रीयंत्र नगर के पीछे स्थित अवैध कॉलोनी के निर्माण का है, जिसकी शिकायत पांच साल से विभिन्न स्तर पर हो रही है। नगर निगम से लेकर कलेक्टर इसकी शिकायत गई, निगम ने जांच का आदेश भी निकाला, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जीरो है। हैरत की बात तो यह है कि यहां पर न सिर्फ नगर निगम, बल्कि बिजली और जल विभाग भी कॉलोनाइजर पर मेहरबानी दिखा रहे हैं।

Bilawali Talab के पास कॉलोनाइजर श्रीचंद सादीजा कर रहेे निर्माण

बिलावली ( Bilawali Talab ) इलाके में सर्वे क्रमांक 86/1, 81/2/मिन-2, 87/1/मिन-1, 88/1/1, 88/2, और 91/2/1 पर बिना किसी वैधानिक अनुमति के एक कॉलोनी का निर्माण किया गया और अब भी चल रहा है। इसका काफी हिस्सा तालाब का बैक वाटर का है, इसके अलावा इसमें ग्रीन बेल्ट का हिस्सा भी शामिल है। इसका विकास भूमि स्वामी और कॉलोनाइजर आरती पति श्रीचंद शादीजा कर रहे हैं। हालांकि सामने जतिन शदीजा का नाम आ रहा है। इस कॉलोनी के विकास के लिए न तो टीएनपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) और न ही डायवर्शन की अनुमति ली गई है, जो कि शहरी विकास के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। कॉलोनी के निर्माण के लिए आवश्यक सुविधाओं जैसे सडक़, बिजली, पानी और ड्रेनेज की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। नगर निगम की सीमा में होने के बावजूद इस कॉलोनी के लिए निगम से कोई अनुमति नहीं ली गई है, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। इस अवैध कॉलोनी के आसपास नाला स्थित है, लेकिन नियमानुसार नाले से उचित दूरी पर कॉलोनी का निर्माण होना चाहिए। बावजूद इसके, इस नियम का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य जारी है। इसकी शिकायत केवल नगर निगम से ही नहीं बल्कि, जनसुनवाई के दौरान निगमायुक्त, कलेक्टर के साथ सीएम तक की गई है। पर इसके बाद भी प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है, जिससे यहां अवैध निर्माण बिना किसी रुकावट के जारी है। यदि समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो इस अवैध कॉलोनी का विस्तार और भी बढ़ सकता है, जिससे शहर के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

जमीन उपयोग अधिनियम का उल्लंघन

मध्य प्रदेश भू विकास अधिनियम के तहत बिना भूमि उपयोग परिवर्तन और विकास अनुमति के किसी भी कॉलोनी का विकास अपराध माना जाता है। इस अधिनियम के अनुसार, यदि कोई कॉलोनाइजर ऐसा करता है तो उसे जमीन की गाइडलाइन के अनुसार 20 प्रतिशत पेनल्टी का भुगतान करना पड़ सकता है। साथ ही अन्य कानूनी कार्यवाहियों का भी प्रावधान है।

आम जनता के साथ धोखाधड़ी

इस पूरे मामले को लेकर हरपाल सिंह अरोरा नामक व्यक्ति ने प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता ने इस अवैध निर्माण को तुरंत रोकने और भू माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते उचित कदम नहीं उठाता, तो यह अवैध कॉलोनी और भी विकसित हो जाएगी, जिससे न केवल शहरी विकास के नियमों का उल्लंघन होगा, बल्कि सरकारी खजाने को भी बड़ा नुकसान पहुंचेगा। वहीं भू माफिया भोली-भाली जनता के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। इस कॉलोनी को वैध बताते हुए लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं और उन्हें बैंक से लोन दिलवाने के नाम पर रुपए ऐंठे जा रहे हैं। इस अवैध निर्माण को वैध बताने के लिए जनता को भ्रमित किया जा रहा है। यह न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि लोगों की मेहनत की कमाई को भी खतरे में डाल रहा है।

नगर निगम दे चुका है कार्रवाई का आदेश


जनवरी 2020 में हरपाल सिंह अरोरा द्वारा कलेक्टर कार्यालय में इस अवैध कॉलोनी की शिकायत की गई थी। इसके बाद, नगर निगम के कॉलोनी सेल विभाग को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। 23 जनवरी 2020 को शिकायत आवेदन कोड क्रमांक 207545 के तहत यह मामला दर्ज किया गया, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। नगर निगम के उपायुक्त ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले की तत्काल जांच की जाए और मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाए। निरीक्षण के बाद रिपोर्ट तैयार कर उचित कार्रवाई की जानी थी, जिसमें पुलिस प्राथमिकी भी शामिल है। उपायुक्त कॉलोनी सेल द्वारा आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि स्थल के खसरा क्रमांक, रकबा, फोटोग्राफ्स, भूखंडों के विक्रय विलेख और अनुबंध की प्रतियां एकत्रित की जाएं। कालोनाइजर का नाम और पूरा पता स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाए। मौके पर पंचनामा तैयार कर रिपोर्ट नगर निगम को सौंपी जाए। हालांकि, 5 फरवरी 2020 को जारी इस आदेश के बावजूद नगर निगम ने अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी ने भी कहा था कार्रवाई को

प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राऊ विधायक जीतू पटवारी ने क्षेत्र में बढ़ते अवैध कॉलोनी निर्माण और पर्यावरणीय असंतुलन के मुद्दों पर तालाबों और सरकारी नाले पर कब्जा करके अवैध कॉलोनियों के निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए निगम को कहा था। शदीजा की कॉलोनी को लेकर उन्होंने पांच साल पहले निगम अफसरों पर नाराज होते हुए इसकी पूरी जानकारी मांगी थी और तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा था कि इस तरह की अवैध गतिविधियों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पर जैसे ही सरकार बदली, निगम अफसरों ने इस आदेश को भुला दिया। पर अब जबकि मुख्यमंत्री खुद अवैध कॉलोनी के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं, देखना यह है कि प्रशासन इसके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाता है, या पांच साल से कागजों पर ही कार्रवाई की चकरी घुमाता है।