लेखक
चैतन्य भट्ट
अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी के एक मशहूर गाने के बोल थे इंतेहा हो गई प्यार की आई ना कुछ खबर मेरे यार… की उसी तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के तमाम नेता जिन्हें अभी तक कुछ नहीं मिल पाया है निगम मंडलों में अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष ,सदस्य बनने की इंतजार में लंबे अरसे से अपनी आंखें गड़ाए बैठे हैं । बहुत लंबा वक्त हो गया जब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नवाजे गए निगम मंडलों के अध्यक्षों को डॉक्टर साहब ने एक ही झटके में हटा दिया था दूसरों को ये आशा बंधी थी कि जिनको हटाया गया है तो अब अपना नंबर भी आ सकता है एक साल हो गए डॉक्टर साहब की सरकार को लेकिन अभी तक इन तमाम नेताओं का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है।
BJP प्रदेश अधयक्ष का लंबा हो रहा इंतजार
रोज सुबह से एक ही बात की प्रतीक्षा रहती है कि खबर आ जाए कि आपको भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) में निगम का या मंडल का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है और आपको कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया है लेकिन सुबह से रात हो जाती है कोई खबर नहीं आती, आशा निराशा में बदल जाती है फिर दूसरे दिन वही इंतजार होता है और यही इंतजार पिछले बारह महीनों से वे तमाम नेता कर रहे हैं जो इन कुर्सियों पर बैठने के लिए लालायित हैं लेकिन ये राजनीति भी बड़ी ही निर्मम चीज है, कितनी मेहनत करता है आदमी तब जाकर पार्टी के बड़े नेताओं के नजर उस पर पड़ती है लेकिन नजर एक है और जिन पर पडऩा है उनकी संख्या हजारों में है अब ऐसे में किसी एक को छांटें भी तो कैसे छांटें ? ये भी तो मुश्किल है हर नेता उस नजर के करीब जाना चाहता है अब वह उस नजर पर डिपेंड करता है कि वह किस पर अपनी नजऱें गडा दे । अब तो सरकार भी चार साल और चलने वाली है कम से कम उन लोगों को कुछ तो दे दे भाई ,जो बेचारे रात दिन मेहनत कर करके आपकी पार्टी को सत्ता में लाए हैं जय जयकार करना, झंडा बैनर उठाना, एक-एक घर जाकर भाजपा को वोट देने की बात करना ये तमाम काम उन्हीं नेताओं ने किए हैं जो आपकी पार्टी के समर्पित कार्यकरता हैं लेकिन अब वे भी चाहते हैं कि उन्हें भी कुछ ना कुछ ऐसा मिल जाए कि वे अपनी गाड़ी की नंबर प्लेट के साथ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त लिखवा सकें, कई नेताओं ने गाड़ी की नंबर प्लेट पर लिखवाने का का ऑर्डर भी दे दिया है कि न जाने कब आदेश आ जाए और उन्हें सिर्फ नंबर प्लेट वाली गाड़ी में ही चलने के लिए मजबूर होना पड़े पहले से नंबर प्लेट पर अध्यक्ष उपाध्यक्ष का नाम होगा तो इधर आदेश आएगा उधर नंबर प्लेट बदल दी जाएगी, लेकिन दिक्कत यही है कि ऊपर वाले सुन नहीं रहे हैं वे अपने में मस्त है और ये बेचारे इंतजार में त्रस्त । अपनी इन तमाम नेताओं को एक ही सलाह है कि भैया धीरज रखो धीरज का फल हमेशा से ही मीठा होता है और कहा भी गया है धीरज धर्म मित्र अरू नारी आपातकाल परखिए चारी। धीरज रखो ये आपातकाल है कभी ना कभी खत्म होगा और आपके माथे पर अध्यक्ष उपाध्यक्ष का तमगा लग ही जाएगा ।
उन्नति से इतनी परेशानी क्यों : ईओडब्लू वाले हों या फिर लोकायुक्त वाले इनका एक ही काम है जो भी व्यक्ति उन्नति करता है उस पर ये छापा डाल देते हैं अब देखो ना इंदौर नगर निगम के राजस्व अधिकारी राजेश परमार के घर इन लोगों ने छापा मार दिया करोड़ों की संपत्ति का पता लगा है,इनके पास । ये भाई साहब पहले नगर निगम में बेलदारी करते थे आगे बढ़ते बढ़ते राजस्व अधिकारी बन गए जांच एजेंसियों को ये सोचना था कि कितना मेहनती इंसान है ये, बेलदार से कितनी ऊंची पोस्ट राजस्व अधिकारी तक पहुंच गया कितने जतन नहीं किए होंगे, कितने लोगों की सेवा नहीं की होगी तब जाकर इतनी उन्नति प्राप्त की होगी लेकिन ये विघ्न संतोषी जांच एजेंसी तो किसी को नहीं छोड़ती । इनको तो उसका सम्मान करना था उसकी मेहनत का, उसकी लगन का कि एक आदमी जो बेलदार था वो अब राजस्व अधिकारी बन गया, और फिर अब जिसके पास राजस्व होगा तो उसके पास तो पैसा अपने आप आएगा ।
अगर आठ दस करोड़ रूपया मिल भी गया तो ऐसा कौन सा फर्क पडऩे वाला है यहां तो दैनिक वेतन भोगी के पास भी तीन करोड़ की संपत्ति मिली है तो जब दैनिक वेतन भोगी तीन करोड़ कमा सकता है तो फिर राजस्व अधिकारी ने अगर आठ दस करोड़ कमा भी लिए तो इसमें कोई अचरज नहीं होना चाहिए । अपना तो मानना है कि ऐसे करतब बज बेलदार को जो देखते-देखते बेलदार से राजस्व अधिकारी बन गया उसका नागरिक अभिनंदन होना चाहिए और उससे यह भी सीक्रेट पूछना चाहिए कि आखिर उसने इतनी उन्नति की तो की कैसे ताकि दूसरे लोगों को भी उन्नति करने की शिक्षा मिल सके।
जैसे को तैसा मिल गया: बड़े मजे की बात है बुरहानपुर जिला अस्पताल में एक भाई साहब जो वहां पर बाबू थे उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वे सस्पेंड भी हो गए थे यानी भ्रष्टाचार कैसे किया जाता है इस बारे में वे पूरी तरह से रचे पचे थे लेकिन कहते हैं ना जो कर्म आप करते हो उसका फल यहीं मिल जाता है तो वे जब अपने किसी काम से अपने दफ्तर गए तो वहां पर लेखपाल राधेश्याम चौहान ने उनसे ही रिश्वत मांग ली जाहिर है जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड हुआ हो गिरफ्तार हुआ हो उससे कोई पैसा मांगे यह वो कैसे सहन कर सकता था जो हक उसका था वह कोई दूसरा ले ले ये उसे कदापि मंजूर नहीं था सो हुजूर ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से कर दी लोकायुक्त में भी एक झटके में लेखपाल जी को अपने गिरफ्त में ले लिया।
अपने को तो समझ में नहीं आता कि लेखपाल जी कितनी कमजोर बुद्धि के थे, अरे भाई जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हुआ हो ,सस्पेंड हुआ हो उससे भ्रष्टाचार करके रिश्वत मांग रहे थे कुछ तो सोच लेते कितना पुराना अनुभवी व्यक्ति है, उसके अनुभव का लाभ न लेकर उसी से माल काटने की कोशिश करने लगे, अब लोकायुक्त के चक्कर में फंसे हो तो फंसे रहो, इसलिए कहते हैं कि जिस भी रिश्वत मांगो पहले उसका पूरा कच्चा चिट्ठा जान लो वरना जैसा हाल राधेश्याम जी का हुआ था हुआ है वैसा ही हाल उसका भी हो सकता है जो बिना कच्चा चिट्ठा जाने किसी से रिश्वत मांग ले।