बीजेपी District President के चुनाव में राजनीतिक चाणक्यों का फीका पड़ा रसूख

रामानंद तिवारी, भोपाल

कहते है कि राजनीति में जो हो जाए वह कम है’। यही प्रदेश भाजपा के जिलाध्यक्ष ( District President ) के चुनाव में देखने को मिला। राजनीति के कई चाणक्यों का रसूख सिर के बल गिरा। भाजपा संगठन ने 62 में से 56 जिलाध्यक्षो की घोषणा कर दी है। घोषणा से स्पष्ट दिख रहा है कि कई बड़े-बड़े रसूखदार नेता महज फडफ़ड़ाते हुए दिखे। लेकिन पार्टी के सिस्टम के आगे ज्यादातर नेता बौने नजर आए।

District President के चयन में नहीं चली दंभ भरने वालों की

ग्वालियर में भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल सहित अन्य कई जिलाध्यक्ष ( District President ) की दावेदारी कर रहे थे। जिला अध्यक्ष की दावेदारी में अग्रवाल अपने रसूख के चलतें जिलाध्यक्ष बनने का दंभ भर रहे थे। लेकिन बाजी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की वजह से उल्टी पड़ गई। ग्वालियर में संगठन के पग पर चलने वाले जय प्रकाश राजौरिया की घोषणा होते ही भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक जादौन बोले- ‘मेरी राजनीतिक हत्या हो गई’। हालांकि जादौन भी संगठन के समर्पित कार्यकर्ता है, उनका मलाल था कि अब मै जिलाध्यक्ष पद की तय आयु सीमा से बड़ा हो जाउंगा, ऐसी स्थिति में अध्यक्ष नहीं बन पाउंगा। वहीं जादौन को कद्दावर नेता नरेन्द्र सिंह तोमर का वहीं राजौरिया को वीडी शर्मा का वरदहस्त प्राप्त है। जिलाध्यक्ष बन चुके राजौरिया पूर्व में मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं।

इंदौर में ताई-भाई के बीच उलझा अध्यक्ष का चयन

भाजपा संगठन चुनाव में 62 में से 56 जिलाध्यक्षो की घोषणा कर चुका है। इसके बावजूद इंदौर के जिलाध्यक्ष का चयन करने में संगठन के जिम्मेदारी नुमाइंदों को दिन में तारे नजर आ रहे है। हालांकि अब मामला ताई-भाई के अलावा अन्य रसूखदार नेताओ के हस्तक्षेप की वजह से ज्यादा उलझ गया है। प्रदेश के हाई प्रोफाइल स्थानों में से ग्वालियर,भोपाल एवं जबलपुर में तो संगठन ने बाजीगरी के साथ जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी। लेकिन इंदौर में अभी भी जिला अध्यक्ष चयन में रस्साकशी की स्थिति नजर आ रही हैं।

जबलपुर में नहीं चली कई दिग्गजों की

जबलपुर में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह,अजय विश्नोई की पसंद को संगठन ने दरकिनार करते हुए स्थानीय सांसद आशीष दुबे के अलावा मंत्री प्रहलाद पटेल की पसंद को तरजीह दी। हालांकि पूर्व में संकेत मिल रहे थे कि जबलपुर में जिलाध्यक्ष के चयन में घमासान हो सकता है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई नेताओं ने प्रत्याशियों के चयन में पार्टी के खिलाफ विगुल बजा दिया था। संगठन चुनाव में नेताओं ने इतनी कसावट कर दी, जिससे विरोधी स्वर मुखर नही हो सके।