भाजपा District President के लिए सांसद मंत्री एवं विधायक आमने-सामने

रामानंद तिवारी, भोपाल

भाजपा अपने संगठन चुनाव को लेकर तत्परता से जुटी हुई है। मंडल अध्यक्षों के चयन पर मचे घमासान के बाद जिलाध्यक्ष ( District President ) के लिए भाजपा के चुनावी संगठन में जुटे बाजीगर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे है। चूंकि जिलाध्यक्ष भी जिले में अहम् किरदार निभाता है। ऐसी स्थिति में जिलें में अपना रसूख बनाए रखने के लिए सांसद,मंत्री एवं विधायक अपने-अपने सिपहसलारों को जिलाध्यक्ष बनवाए जाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है। आपसी विरोध-अवरोध भी जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर सामने आने लगा है। जिलाध्यक्षों के चुनाव में भी नेता समन्वय नहीं बना पा रहे हैं। आलम यह है कि अपने गृह जिले में अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए सांसद,मंत्री, विधायकों के साथ ही अन्य नेताओं में घमासान देखा जा रहा है।

सागर संभाग में छिड़ी है District President की जंग

सागर संभाग में लंबे समय से जिलाध्यक्ष ( District President ) के लिए राजनीतिक उहापोह की स्थिति बनी हुई है। राजनीतिक वर्चस्व की जंग में पूर्व मंत्री एवं वर्तमान मंत्री एक दूसरे के साइलेंट एवं मुखर तौर पर कपड़े फाडऩे में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे है। आपसी द्वंद का असर जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर भी दिखने लगा है। सागर में इस मुद्दे पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत एक तरफ हैं तो पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह दूसरी तरफ हैं। नरसिंहपुर में भी मंत्री प्रहलाद पटेल और उदय प्रताप सिंह जिलाध्यक्ष के चयन पर आमने.सामने हैं। जिलाध्यक्ष के चुनाव में कई जिले ऐसे हैं, जहां नेताओं का टकराव दिक्कत खड़ी कर रहा है। टीकमगढ़ में एक तरफ केंद्रीय मंत्री डॉ.वीरेंद्र कुमार हैं तो दूसरी ओर बाकी सभी नेता। डॉ. वीरेंद्र कुमार अपने संसदीय क्षेत्र के सभी जिलों में अपनी पसंद का अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं तो पूर्व विधायक राकेश गिरी भी जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं। मौजूदा अध्यक्ष अमित लूना भी वापसी के लिए लगे हुए हैं।

विन्घ्य क्षेत्र बना राजनीतिक अखाड़ा

लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के समय से राजनीतिक रस्साकशी की स्थिति विंध्य क्षेत्र में भी अच्छी खासी देखने को मिल चुकी है। वर्तमान में सतना में सांसद गणेश सिंह समर्थक सतीश कुमार शर्मा जिलाध्यक्ष हैं। संघ में प्रचारक रहे हैं। इनको दो साल हो गए हैं लेकिन मंत्री प्रतिभा बागरी और अन्य विधायक बदलाव चाहते हैं। रीवा जिले में डॉ.अजय सिंह पटेल जिलाध्यक्ष हैं। इन्हें प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का समर्थन है लेकिन उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और सांसद जनार्दन मिश्रा दोनों नए अध्यक्ष चाहते हैं। पन्ना जिले में बृजेंद्र मिश्रा को दो साल हुए हैं, रिपीट होने के प्रयास में हैं लेकिन संभावनाएं कम हैं। सीधी में विधायक रीती पाठक और सांसद के बीच सहमति नहीं बन रही है।

जबलपुर संभाग के नेताओं में भी रार

जबलपुर संभाग में अजय विश्नोई से लेकर अन्य नेता पार्टी विरोधी बयान मुखर होकर देते रहे है। ऐसी स्थिति में सहजता के साथ जिलाध्यक्ष का चयन करना आसान नहीं। क्योंकि जबलपुर में प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा का हस्तक्षेप भी है। क्योंकि विधायक अभिलाष पांडेे को टिकट दिए जाने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पार्टी विरोधी विगुल बजा दिया था। कुछ जिलों में कांग्रेस से आए नेताओं के नाम पर रार हो रही है। सिवनी जिले में विधायक मुनमुन राय कांग्रेस से आए हुए हैं, उनका मूल भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय नहीं बन पा रहा है। दूसरा गुट आलोक दुबे के साथ है। पूर्व विधायक नरेश दिवाकर, पूर्व सांसद नीता पटेरिया को इनका समर्थन है। जबलपुर में अजय विश्नोई, प्रभात साहू और मंत्री राकेश सिंह के बीच पटरी नहीं बैठ रही। छिंदवाड़ा में भी यही स्थिति है। सांसद बंटी साहू टीकाराम चंद्रवंशी या किसी महिला को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। दूसरा गुट पूर्व मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह का है जो शंटी बेदी को अध्यक्ष बनवाना चाहता है। बालाघाट में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं तो पूर्व मंत्री रामकिशोर कावरे खुद अध्यक्ष बनना चाहते हैं।

आपसी खींच-तान में पीछे नहीं इंदौर

इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय एवं लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग किसी से छिपी नहीं है, वहीं पूर्व मंत्री उषा ठाकुर, मालिनी गौड़ के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सिपहसालार भी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष बनवाने की जुगत में बदस्तूर इंदौर से भोपाल दौड़ रहे हैं।

संगठनात्मक रूप से प्रदेश में 60 जिले

भाजपा के संगठनात्मक रूप से मप्र में 60 जिले हैं। इस तरह प्रदेश में 60 जिलाध्यक्ष बनाना है। पार्टी ने जिलाध्यक्षों के चुनाव के लिए गाइड लाइन बनाई है। पार्टी की कोशिश है कि जिलाध्यक्ष की नियुक्तियों में सारे समीकरणों को साधने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन जिलों में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए जिलों के बड़े नेताओं ने अपने खेमों से नाम छांटना शुरु कर दिए हैं। इससे जिले के वरिष्ठ नेताओं में घमासान शुरू हो गया है।

मंत्रियों एवं संगठन के नेताओं में खींच-तान

जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर अब तक जहां जहां रायशुमारी हुई, वहां संगठन के नेताओं, केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों की पसंद व दबाव में आम सहमति नहीं बन पा रही है।

ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में रस्साकशी ज्यादा

ग्वालियर को राजनीति का केन्द्र बिंन्दु कहे तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा एवं संगठन के चुनाव की कमान संभाल रहे विवेक शेजवलकर के अलावा अन्य बड़े रसूखदार नेताओं का ग्वालियर से सरोकार है। ग्वालियर ग्रामीण और नगर के अलावा गुना-शिवपुरी और अशोकनगर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष चाहते हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष नरेेन्द्र सिंह तोमर भी अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनवाने की जुगत में है। दूसरी ओर संगठन चुनाव की कमान संभाल रहे विवेक शेजवलकर के अलावा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के अलावा अन्य नेता भी अपने-अपने सिपहसालारों को जिलाध्यक्ष बनवाए जाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे है। ग्वालियर,भिण्ड,मुरैना, श्योपुर में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के बीच रस्साकसी की स्थिति देखने को मिल रही है।