रामानंद तिवारी, भोपाल
भाजपा ( BJP ) जिलाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण नहीं देगी। हालांकि अन्य पदाधिकारियों एवं समितियों में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। भाजपा ने अब तक किसी महिला को जिलाध्यक्ष एवं प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व नहीं सौपा है, लेकिन इस बार अनुसुचित जाति एवं जनजाति के अलावा सामान्य वर्ग की तकरीबन 2 से 4 महिलाओं को मौका मिल सकता है।
दिनभर BJP पदाधिकारियों के बीच हुई माथापच्ची
भाजपा ( BJP ) के प्रदेश मुख्यालय में गुरुवार को हुई बैठक में दिन भर जिम्मेदार पदाधिकारियों के बीच माथापच्ची हुई, जिसमें कुछ जिलों के नामों को लेकर सहमति बनी और कुछ जिलों में वर्तमान जिलाध्यक्ष को रिपीट करने को लेकर आपसी खीच-तान की स्थिति निर्मित हुई। बड़े महानगरों में मंत्री विधायक एवं सांसद के अलावा संगठन के नेताओं की आपसी सहमति नहीं बन सकी। आज भी बैठक में शेष बचे नामों पर रायशुमारी कर तीन-तीन नामों के पैनल तैयार कर केन्द्रीय नेतृत्व को भेजे जायेंगे। आगामी सोमवार तक जिलाध्यक्षों की घोषणा केन्द्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद हो सकती है।
जाते-जाते वीडी बैठाना चाह रहे अपने मोहरे
भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर घमासान मचा हुआ हैं। मंत्री, विधायक, सांसद, संगठन के जिम्मेदार नुमाइंदों के अलावा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी ज्यादा से ज्यादा अपने सिपहसालारों को जिलाध्यक्ष की आसंदी पर बैठाने की कवायद में जुटे हुए है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा अपनी कार्यकुश्लता का लोहा विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में मनवा चुके है। ऐसी स्थिति से राजनीतिक मुकाबला करने के लिए नेता अपना वजीर बैठाना चाहते है। दरअसल, एक व्यक्ति को दो बार भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है। वीडी शर्मा कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। ऐसी स्थिति में यदि इस साल पुन: मौका नहीं मिला तो आने वाले तीन साल बाद पुन: अध्यक्ष की दौड़ में वे शामिल हो सकते है।
पचास प्रतिशत से ज्यादा नामों की होगी घोषणा
प्रदेश अध्यक्ष के चयन से पूर्व पचास फीसदी जिला अध्यक्षों का चयन होना जरूरी है। ऐसी स्थिति में जल्द ही तकरीबन 35 से 40 नामों की सूची जारी होगी। वहीं कुछ नामों की घोषणा दूसरी सूची में होगी। विवादास्पद जगह के दावेदारों की घोषणा रोकी जा सकती है। जिन जिला अध्यक्षों की घोषणा नही हो सकेगी ऐसे जिलों के जिला अध्यक्ष चयन नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के बाद हो सकेंगे।
रायशुमारी आम कार्यकर्ता से नहीं
जिलाध्यक्षों की घोषणा को लेकर संगठन चुनाव का दायित्व निभा रहे जिम्मेदार नुमाइंदों ने जिलों में जो रायशुमारी की वह आम कार्यकर्ता से नहीं बल्कि विधायक,सांसद एवं कार्य समिति के सदस्यों से की है। ऐसी स्थिति में आम कार्यकर्ता की अनदेखी भी पार्टी को भारी पड़ सकती है। भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा होने के बाद जिस दावेदार की लाटरी नहीं लगी तब कार्यकर्ता हंगामा खड़ा कर सकते है। सूत्रों के अनुसार कई जिलों में पैनल बड़े नेताओं के प्रभाव मंडल में आकर तैयार किए गए है। यदि तैयार पैनल में उचित कार्यकर्ता को तरजीह नहीं दी गई तों कार्यकर्ता पार्टी विरोधी विगुल बजाने में कोई कोर-कसर नहीं छोडेगा।
अठारह मंडल अध्यक्षों का चयन अटका
जिलाध्यक्षों के चुनाव के बीच मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर पार्टी में रार हुई थी। इससे पार्टी के दिग्गजों को अंदेशा हो गया है कि जिला अध्यक्ष के चयन के बाद भी पार्टी को विरोध-अवरोध का सामाना करना पड़ सकता है। मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर चुनाव समिति के पास करीब 100 से ज्यादा शिकायतें पहुंची थी। अपीलीय समिति ने इन शिकायतों की छानबीन भी की थी। शिकायतों के मुताबिक, डेढ़ दर्जन ऐसे मंडल थे, जहां पर अध्यक्ष बनने के लिए पदाधिकारियों ने खुद की उम्र घटाकर बताई। इसके बाद 18 मंडलों के आधिकारिक तौर पर चुनाव ही निरस्त कर दिए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा सिवनी से हैं।