BJP incharge बदले, एक-दो दिन में संगठन में बड़ा बदलाव

स्वतंत्र समय, भोपाल

भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में नई सरकार के बनते ही मध्यप्रदेश में बदलाव की शुरूआत कर दी है। शुरूआत प्रभारी ( BJP incharge ) एवं सह प्रभारी से की गई है। सौ प्रतिशत रिजल्ट देने वाले लोकसभा चुनावों के प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह और सह प्रभारी सतीश उपाध्याय को ही मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

BJP incharge के बाद प्रदेश संगठन में हो सकता है बड़ा बदलाव

भाजपा प्रभारियों ( BJP incharge ) की नियुक्ति के अब एक-दो दिन में प्रदेश संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव किया जा सकता है। संकेत पुख्ता होते ही दावेदारों को लेकर भी प्रदेश में कयास बढ़ गए हैं। लोकसभा चुनाव और नई सरकार के गठन के साथ ही भाजपा में संगठन स्तर पर व्यापक बदलाव की संभावना जताई जा रही थीं। इसकी शुरूआत राष्ट्र्रीय संगठन ने मध्यप्रदेश में प्रभारी व सह प्रभारी बदलकर की है। अब तक संगठन के प्रभारी रहे पी मुरलीधर राव प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं। उनके स्थान पर यूपी के एमएलसी डॉ महेंद्र सिंह (एमएलसी) प्रभारी तथा दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय बीजेपी के सह प्रभारी बनाए गए हैं। इस जोड़ी ने लोकसभा चुनावों के दौरान प्रदेश में खासी मेहनत की थी। बूथ स्तर तक पहुंचकर दोनों ने कार्यकर्ताओं की बैठकें कर रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई। हर जिले में संगठन के नेता और कार्यकर्ताओं के बीच दोनों की पहचान भी हो चली है। साथ ही संगठन के नेताओं से तालमेल भी छह महीने में बना है। उपाध्याय को तो 2019 के चुनाव में भी प्रदेश का सहप्रभारी बनाया गया था। विधानसभा चुनाव केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मध्यप्रदेश का प्रभारी और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बनाया था।

अब संगठन में बदलाव

सूत्रों के मुताबिक अगले सप्ताह की शुरूआत में ही मध्यप्रदेश में संगठन स्तर पर भी बदलाव किया जा सकता है। बीते दिनों दिल्ली में मुख्यमंत्री मोहन यादव और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की सक्रियता तथा वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात को इसी बदलाव से जोडक़र देखा जा रहा है। वैसे तो संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो रही है। 7 जुलाई को भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति में बूथ स्तर तक चुनाव की कवायद शुरू कर दी जाएगी। संगठन चुनावों तक कार्यकारी अध्यक्ष की व्यवस्था भी केंद्रीय नेतृत्व द्वारा की जा सकती है। वैसे भी प्रदेशाध्यक्ष शर्मा का दूसरा कार्यकाल पूरा हो चुका है। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बदलाव रोका गया था।