राजेश राठौर
मैं डरा हुआ हूं। सोच रहा हूं घर से निकलूं या न निकलूं। घर से निकलकर किसी मंदिर में जाऊंगा तो पकड़ लेंगे। जिम-सिम में जाऊंगा तो वहां बीजेपी ( BJP ) वाले पकड़ लेंगे। मार्केट में दुकान खोली, दुकान में बैठा तो वहां पकड़ लिया जाऊंगा। किसी धार्मिक कार्यक्रम में गया तो वहां पकड़ लेंगे। इतनी देर में कोई बीजेपी वाला मिल गया तो वो मुझे देखते ही ऐसे पकड़ेगा जैसे पुलिस किसी चोर-उचक्के को पकड़ती है।
BJP का जबरदस्ती सदस्य न बना दिया जाऊं
मेरे डर का करण यह है कि मैं कहीं भाजपा ( BJP ) का जबरदस्ती सदस्य न बना दिया जाऊं। मैं स्वतंत्र देश का स्वतंत्र नागरिक हूं, लेकिन इन दिनों मच्छर देखकर डेंगू का डर सताता है , उसी तरह से जबरदस्ती भाजपा का सदस्य बनाने का डर दिलोदिमाग में छाया हुआ है। हर कोई भाजपा नेता सदस्य बनाने के लिए इस तरह से निकल पड़ा है जैसे कोई तूफान आ गया हो। जबसे पार्टी हाईकमान ने कहा है कि जो ज्यादा सदस्य बनाएगा उसको ही सरकारी पद मिलेंगे, तब से ही कार्यकर्ता, नेता, पार्षद और विधायक टिड्डी दल की तरह टूट पड़े हैं । गलती से मैने आज अपने इलाके के पार्षद को फोन लगा दिया, उससे कहा कि हमारे घर में जो नल लगा है उसमें गंदा पानी आ रहा है। पार्षद ने कहा- अरे ये तो छोटी समस्या है, मैं सब निपटा दूंगा। पहले तुम तत्काल एक काम करो, एक मैं मोबाइल नंबर दे रहा हूं, उस पर मिस्ड कॉल करके भाजपा का सदस्य बनो। रिफरेंस में मेरा नाम लिखना, घर में जितने सदस्य हैं, जितने नौकर-चाकर, ड्राइवर हैं सबको भाजपा का सदस्य बना दो और मुझे व्हाट्सएप कर दो। मैं मजबूर था, गलती से पार्षद को फोन लगा चुका था। मिस्ड कॉल करके मैं भाजपा का सदस्य भी बन गया था। अब पार्षद मेरा फोन भी नहीं उठा रहे हैंं।
भाजपा वाले लोगों को पकड़ पकडक़र ऐसे सदस्य बना रहे हैं जैसे भेड़, बकरी की तरह गांव वाले बेंत मार मारकर दौड़ाते हैं। हर कोई परेशान है, देश में नंबर वन मप्र बने , प्रदेश में नंबर वन इंदौर बने, इंदौर में नंबर वन मेरा इलाका बने। बस इस अंधी दौड़ में सब दौड़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर गुंडे,बदमाश उठाईगिरे , निगरानी शुदा बदमाश, तड़ीपार जिलाबदर, सटोरिये, जेबकट , चोर ,हत्यारे और लुटेरे बड़ी शान से भाजपा का सदस्य बनने का प्रचार जोरों से कर रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हो या सरकारी टीचर , लाड़ली बहना हो या मजदूर सबको अनिवार्य रूप से भाजपा का सदस्य बनना जरूरी है। सरकारी नौकरी मिले या न मिले, लेकिन पढ़े-लिखे बेरोजगारों को कुछ नेताओं ने रोजगार दे दिया है। कोई नेता 300 तो कोई नेता 500 मेंबर बनाने के लिए युवाओं को 3000 से लेकर 5000 रुपए तक दे रहे हैं। वैसे ये स्कीम अच्छी है।
भाजपा को 12 महीने 24 घंटे सदस्यता अभियान जारी रखना चाहिए। ताकि बेरोजगारों को नेता कुछ हजार रुपए देते रहेंगे। भाजपा के नेताओं को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कौन सदस्य बन रहा है उसका चरित्र क्या है, बस हिन्दुस्तान और दुनिया में ये बताना है कि हमारी पार्टी के इतने सदस्य हैं, जितने दुनिया में किसी और पार्टी के नहीं हैं। मार्केटिंग, सोशल मीडिया, चापलूसी, और दिखावे की इस दुनिया में भाजपा जैसी पार्टी सदस्य बनाने के लिए सबसे हल्का हथकंडा अपना रही है। यदि वास्तव में भाजपा इतनी ही लोकप्रिय होती तो फिर लोकसभा चुनाव में सीटें कम क्यों हुई? ऐसा लगता है कि भाजपा जबरिया सदस्य बनाकर लोगों को नहीं खुद को धोखा दे रही है। भगवान इनको सद्बुद्धि दे । जय …हिन्द