भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का रूस-भारत संबंधों पर बड़ा बयान, कहा- ‘अब यह रिश्ता मजबूरी का नहीं, बराबरी का है’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंधों पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते ‘मजबूरी’ से निकलकर ‘बराबरी’ पर आ गए हैं। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में बोलते हुए, त्रिवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि अब भारत रक्षा सौदों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं है और एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन कर रहा है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और रूस हमेशा से पुराने और गहरे दोस्त रहे हैं, लेकिन पहले इस दोस्ती में एक तरह की निर्भरता शामिल थी। अब यह रिश्ता आपसी सम्मान और बराबरी के सिद्धांत पर आधारित है, जो भारत की बढ़ती वैश्विक शक्ति को दर्शाता है।

‘मजबूरी से बराबरी’ का नया दौर

डॉ. त्रिवेदी ने विस्तार से बताया कि पहले के समय में, विशेषकर सोवियत संघ के दौर में, भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर था। इस निर्भरता को उन्होंने ‘मजबूरी की दोस्ती’ के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, “पहले हम रूस के साथ रिश्ते में पीछे बैठने वाली सवारी (पिलियन राइडर) की तरह थे, लेकिन अब हम साथ-साथ चल रहे हैं।”

उनके अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी रक्षा खरीद को विविध बनाया है। अब भारत केवल रूस पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों से भी प्रमुख रक्षा उपकरण खरीद रहा है। इस बदलाव ने भारत को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां वह किसी भी देश के दबाव में आए बिना अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय ले सकता है।

गुटनिरपेक्षता से स्वतंत्र विदेश नीति तक

भाजपा प्रवक्ता ने पूर्व की कांग्रेस सरकारों की गुटनिरपेक्ष नीति की भी आलोचना की। उन्होंने इसे भी एक ‘मजबूरी’ की नीति बताया, जबकि वर्तमान सरकार की नीति को सक्रिय और आत्मविश्वास से भरी ‘विश्व बंधु’ की नीति करार दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत एक ही समय में अमेरिका और रूस जैसे परस्पर विरोधी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में सक्षम है।

त्रिवेदी ने तर्क दिया कि यह भारत की स्वतंत्र और मजबूत विदेश नीति का प्रमाण है। भारत अब किसी गुट का हिस्सा बनने के बजाय वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है और अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा है। यह बदलाव भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताकत का परिणाम है।

बदलते वैश्विक समीकरण और भारत

सुधांशु त्रिवेदी ने जोर देकर कहा कि मौजूदा सरकार ने विदेश नीति को एक नया आयाम दिया है। पहले जहां भारत को एक नरम शक्ति (सॉफ्ट पावर) के रूप में देखा जाता था, वहीं अब भारत एक अग्रणी शक्ति (लीडिंग पावर) के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव केवल रक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कूटनीति और वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख में भी स्पष्ट दिखाई देता है।

कुल मिलाकर, त्रिवेदी का बयान इस बात को रेखांकित करता है कि भाजपा सरकार भारत-रूस संबंधों को एक नए दृष्टिकोण से देखती है – एक ऐसा रिश्ता जो ऐतिहासिक दोस्ती का सम्मान करता है, लेकिन वर्तमान की वास्तविकताओं और भारत के नए आत्मविश्वास पर आधारित है।