स्वतंत्र समय, शिवपुरी
अयोध्या राम मंदिर को लेकर दिग्विजय सिंह विवादित बयान देकर भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। उन्होंने भाजपा पर राम मंदिर को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि भाजपा का मकसद मंदिर बनाना नहीं था, उन्हें तो मस्जिद गिरानी थी। जो उन्होंने गिरा दी। भाजपा कहती है कि 500 साल बाद रामलला को लाए हैं। जब इतने साल बाद राम को ला सकते हो तो देश के करोड़ों रुपए लूटकर भागे नीरव मोदी और विजय माल्या को वापस क्यों नहीं ला पा रहे। उन्होंने कहा, रामलला की लड़ाई भाजपा ने नहीं, 1850 से निर्मोही अखाड़ा ने लड़ी थी। फिर 1925 में आरएसएस बनी, 1950 जनसंघ बना, 1965 विश्व हिंदू परिषद बनी, 1980 भाजपा बनी। तब इनका राम मंदिर का मुद्दा था ही नहीं। राम मंदिर मुद्दा 1984 में बना, जब भाजपा के चुनाव में दो सदस्य रह गए थे। तब से अब तक हिंदू-मुस्लिम को लड़वा रहे हैं। जिस मस्जिद को गिराकर भाजपा देश में नफरत फैलाने का काम कर रही थी। वहां मंदिर का निर्माण नहीं हुआ। जो स्थान कांग्रेस के शासन में स्वीकृत किया गया था, मंदिर वहीं बना है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, ईवीएम हटाकर पीएम मोदी आपने मत पत्र से चुनाव कराया तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आप प्रधानमंत्री नहीं बनोगे। ईवीएम ही इनका सबसे बड़ा हथियार है। इनको पता है ईवीएम से ही सत्ता है।
दिग्विजय सिंह न्याय यात्रा की तैयारी के लिए आए थे शिवपुरी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंगलवार को शिवपुरी दौरे पर आए थे। वे यहां राहुल गांधी की न्याय यात्रा की तैयारी को लेकर कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे। शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे जब पूछा गया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें कितनी आएंगी? इस पर उन्होंने कहा, अगर पीएम नरेंद्र मोदी में साहस है, हिम्मत है तो जनमत के आधार के लिए बैलेट पेपर से चुनाव करा कर देख लें। उन्हें पता लग जाएगा कितनी सीटें आएंगी। मैं उन्हें चुनौती देता हूं।
दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा, यह देश सभी का है। हिंदू-मुस्लिम एक न होते तो देश को आजादी नहीं मिल सकती थी। आजादी की लड़ाई के वक्त अगर सिंधिया झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई का साथ दे देते तो 1857 में अंग्रेज देश से बाहर हो जाते। अंग्रेज समझ चुके थे कि देश में ब्रिटिश हुकूमत चलाने के लिए हिंदू और मुसलमानों को बांटना होगा। इसके बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों के लिए मुस्लिम लीग और जमात-ए-इस्लामिक बनाई। हिंदुओं के लिए आरएसएस और हिन्दू महासभा बनाई। इन चारों संगठनों ने आजादी की लड़ाई में भाग न लेते हुए, ब्रिटिश हुकूमत का साथ दिया था। यही इन संगठनों का इतिहास है।